सत्ता व कुर्सी के खेल में बहुत कुछ होता आया है और यह खेल वर्षो से अनवरत खेला जा रहा है।अब किसकी होगी जीत और किसकी होगी हार????????
भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव का विवाद सत्ता में बैठते ही शुरू हो गया था।इनका आपसी विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि कोरोना जैसे बड़ी आपदा में भी स्वास्थ्य मंत्रालय की अहम बैठकों को भी मुख्यमंत्री बघेल स्वयं ही अटेंड करते रहे।जिस विभाग की बैठक है उस विभाग के मंत्री का नही रहना अपने आप मे बहुत से सवाल खड़े करता है।आखिर विभागीय बैठकों से स्वास्थ्य मंत्री क्यो नदारद रहते है।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव दोनो का ही नाम लिया जाता है।इन दोनों नेताओं ने मिलकर 15 वर्षो से काबिज रमन सरकार को उखाड़ फेंका था।सत्ता आते ही केन्द्रिय नेतृत्व ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौपी थी।उस समय एक बात जरूर होती थी कि बाबा और भूपेश के बीच एक फार्मूला तैयार हुआ है। जिसके तहत दोनो ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री रहेंगे।पहले के ढाई साल भूपेश बघेल मुख्यमंत्री रहेंगे।बाद में ढाई साल टी एस सिंहदेव मुख्यमंत्री के पद पर रहेंगे।इस बात की चर्चा कांग्रेस की सत्ता बनते ही राजनैतिक गलियारों में खूब चली। इसी बीच भूपेश बघेल ने इस बात का खंडन खुलकर कर दिया।उन्होंने बयान दिया कि ऐसी कोई भी शर्त नही रखी गयी थी।केन्द्रिय नेतृत्व का मुझ पर पूरा भरोसा है।और मैं ही मुख्यमंत्री रहूंगा।
स्वास्थ्य मंत्री के विभाग की बैठकें मुख्यमंत्री अटेंड कर रहे…..
कोरोना के रोकथान के साथ ही सारी अहम बैठकों से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का गायब रहना अपने आप मे सारी हकीकत बयां करने लगा।इन दोनों नेताओं का आपसे झगड़ा खुलकर सामने आने लगा।सूत्रों के अनुसार यह भी कहा जाता था कि बाबा के विभागों की फाइलों को मुख्यमंत्री कार्यालय में अटका कर रखा जाता है।स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के अनुमोदन पर कोई भी स्वीकृति मुख्यमंत्री कार्यालय से नही दी जाती है।बाबा इन सब बातों को लेकर भी परेशान रहते है।मुख्यमंत्री के इस तौर तरीके की शिकायत बाबा ने केंद्रीय नेतृत्व को बताया है।पर कई बार शिकायत करने के बाद भी केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा कोई भी ठोस कदम नही उठाया गया।
स्वास्थ्य विभाग के विज्ञापन से स्वास्थ्य मंत्री की फोटो गायब
टी एस सिंहदेव के खास लोगो का भी कहना है कि अब आर पार की लड़ाई होनी बची है।आज के समाचार-पत्र में सरकार के द्वारा एक विज्ञापन भी जारी किया गया है।इस विज्ञापन को देखकर यह तो स्पष्ट हो गया है कि, बाबा से स्वास्थ्य मंत्रालय अनौपचारिक रूप से वापस ले ही लिया गया है अन्यथा स्वास्थ्य मंत्रालय का विषय और उसमे प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की तस्वीर लगाई गई है।और वो भी (मंत्री,छत्तीसगढ़ शासन के नाम से) सारी स्थिति को स्पष्ट कर देती है,अब इससे तो यही समझ मे आ रहा है।
क्या बाबा मंत्रिमंडल से ही बाहर कर दिए गए?????
क्या टी.एस.बाबा से केवल स्वास्थ्य विभाग वापस लिया गया है या कि मंत्रिमंडल से ही छुट्टी कर दी गयी है।चर्चा तो ऐसी ही है कि बाबा को मंत्रिमंडल से ही बाहर कर दिया गया है।अब इस बात पर कितनी सत्यता है यह तो टी एस बाबा ही बता सकते है।इस मामले को लेकर हमने उनको कॉल भी किया पर उनका मोबाइल बंद था,इस कारण उनसे हमारी बात नही ही सकी।छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजनीति बड़ी दिलचस्प हो गयी है।क्या राजपरिवार से तालुकात रखने वाले टी एस सिंहदेव किसी बड़े फैसले की ओर अग्रसर होंगे।क्या सत्ता पलटने की भी तैयारी यहाँ हो सकती है।अगर सत्ता पलटी तो केंद्रीय नेतृत्व को एक और बड़ा झटका लगेगा।
क्या अब अपने राजनैतिक जीवन के हितों के लिए बड़ा कदम लेंगे। सरगुजा के राजपरिवार से सियासत में भी अपना नाम ऊंचा रखने वाले टी एस बाबा क्या भूपेश बघेल से आरपार की लड़ाई लड़ेंगे? बाबा का सम्पूर्ण जीवम एक सौम्य व शालीन नेता के रूप में जाना जाता है। छत्तीसगढ़ की राजनीति की चर्चा अब दिल्ली के गलियारों में भी शुरू हो गयी है।