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झीरम कांड के चश्मदीदों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, कहा- ‘अब सच्चाई आएगा सामने’

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देश के सबसे बड़े नक्सली हमलो में से एक दरभा झीरम घाटी नक्सली हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्पेशल बैंच के चीफ जस्टिस ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए NIA के अपील को ख़ारिज कर दिया है, और अब इस हमले की जांच फिर से छत्तीसगढ़ पुलिस कर सकेगी. दरअसल NIA ने अपनी अपील में इस बात का ज़िक्र किया था कि इस झीरमकांड की शुरू से NIA जांच कर रही है, ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच नहीं कर सकती है.

वहीं छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से इस हमले में राजनीतिक षणयंत्र होने की बात कहते हुए जानबूझकर NIA की टीम द्वारा सही तरीके से और तथ्यों पर जांच नहीं करने को लेकर याचिकादायर की थी और इस घटना की जांच वापस छत्तीसगढ़ पुलिस को देने की मांग की थी, और आखिरकार इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के स्पेशल बैंच के चीफ जस्टिस ने NIA की इस अपील को खारिज कर दिया है. इधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का झीरम घाटी हमले के प्रत्यक्षदर्शी रहे मलकीत सिंह गैदु, राजीव नारंग, और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने स्वागत किया है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अब उन्हें उम्मीद है कि इस घटना के 10 साल बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच में घटना की सच्चाई सामने आ सकेगी, और इस घटना के षड्यंत्रकारियों को सजा हो सकेगी.

घटना के 10 साल बाद भी नहीं आई जांच रिपोर्ट सामने

दरअसल 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा झीरम घाटी में नक्सलियों ने देश के सबसे बड़े राजनीतिक हमले को अंजाम दिया था. इस हमले में 32 लोगों की शहादत हुई थी, जिसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, विधानसभा पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के साथ ही कांग्रेस की एक पीढ़ी समाप्त हो गई थी. इसके अलावा कई जवानों की शहादत भी हुई थी. इस घटना के बाद भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी रहा.