Home छत्तीसगढ़ रायपुर: संरक्षण के अभाव में राजधानी की तालाबों का मिटता अस्तित्व, जनप्रतिनिधियों...

रायपुर: संरक्षण के अभाव में राजधानी की तालाबों का मिटता अस्तित्व, जनप्रतिनिधियों ने आरोप प्रत्यारोप के बीच साधी चुप्पी…

0

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को तालाबों और मदिरों के शहर के नाम से जाना जाता था। रायपुर स्मार्ट सिटी और नगर निगम द्वारा हर साल तालाबों के सौंदर्यीकरण और संरक्षण में करोड़ों रुपये खर्च किये जाते है,लेकिन शहर के कुछ तालाबों को छोड़ दें तो शेष नजरअंदाजी के शिकार हैं। रायपुर में बीते 20-25 सालों में तालाबों को पाटकर बस्तियां बसाने, इमारतें बनाने का खूब खेल चला। तालाबों पर अतिक्रमण पर अधिकारी,जनप्रतिनिधियों ने आरोप प्रत्यारोप के बीच चुप्पी साधी है।

(रामसागर पारा का रामसगरी तालाब )

बता दे कि रायपुर को पहले तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब तालाबों पर भूमाफियाओं का काला साया मंडराने लगा है। दिन रात धड़ल्ले से तालाब पाटे जा रहे है। नगर निगम हार साल तालाबों के संरक्षण में करोड़ों रुपये खर्च करता है, लेकिन सच्चाई क्या है कुछ और है। रायपुर के रामसागर पारा में स्थित सबसे प्राचीन तालाब आज अपने अस्तित्व खोते जा रहे है। रामसगरी तालाब कुछ सालों पहले कभी 3- 3.50 एकड़ में हुआ करता था। आज वर्तमान स्थिति ऐसे है कि वहां पर बड़े बड़े माकन,झोपड़ियां और भवन बन गए है। तालाबों के शहर के नाम से जाने जाने वाला रायपुर शहर के तालाब अब अपना अस्तित्व धीरे-धीरे खोते जा रहे है। तालाब के किनारे बसे अवैध मकानों को सरकार या नगर निगम के द्वारा हटाने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है। इसके चलते रामसागर का रामसगरी तालाब अब पूरी तरह से अपने अस्तित्व को बचने लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे ही राजधानी रायपुर के तमाम तालाब अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। रायपुर में पहले 200 -300 तालाब हुआ करते थे, आज स्थिति यह है कि इनकी संख्या अंगुलियों में गिनी जा सकती है।

भाजपा के पूर्व पार्षद ने बताया कि रायपुर को पहले कभी तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता था, लेकिन आज तालाबों पर अवैध कब्जा चल रहा है। पहले समय पर निस्तारी की समस्याओं को देखते हुए तालाबों का निर्माण किया जाता था। आज के विकास कार्य में इन तालाबों को अनदेखा किया जा रहा है। तालाबों की भूमि पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। पूर्व पार्षद ने कहा कि सरकार को यह देखना चाहिए कि जो सरकारी भूमि हमारे पास में है, उनका संरक्षण करें और जिन तालाबों के पास जो अतिक्रमण हो रहे हैं उन्हें हटाया जाए। वर्तमान में 100 से ज्यादा तालाबों पर अतिक्रमण हो चुका है। वह अपने अस्तित्व को पूरी तरह से खो चुके हैं। शासन प्रशासन से गुहार की है कि तालाबों का संरक्षण किया जाए और तालाबों के किनारे जो झोपड़ियां बनी है उन्हें किसी दूसरी जगह पर विस्थापित कर उन्हें आवास दिया जाये।

तालाबों के अतिक्रमण पर निगम महापौर ने कहा कि हमारी सरकार आने के बाद सबसे पहले प्रदेश में अवैध प्लाटिंग करने वाले और चिटफंड कंपनियों पर एफ आई आर दर्ज किया गया। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के राज में रायपुर शहर को तालाब और मंदिरों का शहर कहा जाता है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के राज में मंदिरों को भी नहीं छोड़ा गया और तालाबों को पाटकर बिल्डरों को दे दिया गया, जैसे बिल्डर ने तालाब को खरीद लिया हो। कुल मिलाकर भाजपा के राज्य में ऐसा अतिक्रमण हुआ है। हमारी सरकार आने के बाद हम तालाबों का सौंदर्यीकरण और संरक्षण कर रहे है।

राजधानी रायपुर में तालाबों के संरक्षण के लिए नगर निगम के द्वारा हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। एक तरफ उनके सौंदर्यीकरण और संरक्षण की बात की जाती है, तो वहीं दूसरी ओर है कि जब तस्वीर देखते हैं तो पता चलता है कि तालाबों के संरक्षण की तो बात बहुत दूर है उन तालाबों पर अतिक्रमण करने वालों पर भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। तालाबों पर अतिक्रमण लगातार हो रहे है, लेकिन नगर निगम अपनी आँखे बंद किया हुआ है, और लगातार आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।