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पूरे देश में बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है सुहाग का पर्व,राजधानी रायपुर के प्रसिद्ध आचार्य पं.मुक्ति नारायण पांडेय ने महिलाओं को दिया अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद…

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रायपुर: आज पूरे देश में सुहाग का पर्व करवाचौथ मनाया जा रहा है। आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी आयु की कामना के लिए और कुँवारी लडकियां मनचाहा वर प्राप्ति के लिए निर्जल व्रत करती है। आज 24 अक्टूबर को यह पर्व मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म में करवा चौथ का महत्व बहुत अधिक है । हर स्त्री चाहती है कि वह सदा सुहागन रहे, उसके सुहाग अर्थात उसके पति की उम्र लम्बी हो उनके दाम्पत्य जीवन में मधुरता, मिठास बनी रहे ।
इसीलिए कार्तिक माह की कृष्ण चन्द्रोदय चतुर्थी के दिन पत्नियाँ अपने अखंड सौभाग्य की कामना और अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का निर्जल व्रत रखती हैं।करवा चौथ के व्रत में सौभाग्यवती स्त्रियां भगवान शिव-पार्वती, गणेश और चन्द्रमा का पूजन करती है। यह व्रत पति-पत्नी के पवित्र, अटूट और आत्मिक बंधन का प्रतीक है और यह उनके पवित्र रिश्ते में नई ताजगी एवं मिठास लाता है। व्रत रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद उसे अर्घ्य देकर चलनी के अंदर से अपने पति का चेहरा देखकर अपने पति के हाथो से पानी पीकर ही पूर्ण माना जाता है ।

करवाचौथ की पूजन विधि:
व्रत वाले दिन स्त्रियाँ प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन कर श्रंगार करके भगवान शिव-पार्वती के आगे माथा टेककर अपने लिए सौभाग्यवती बने रहने का आशीर्वाद मांगती है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी भगवान को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था।घर में दीपक जलाये तथा शिव परिवार की पूजा करें और माता पार्वती के सामने निर्जल व्रत का संकल्प लें। इस दिन स्त्रियां अपना पूरी तरह से दुल्हन की तरह साज-श्रृंगार करती हैं, अपने हाथों में मेहंदी और पैरो में महावर रचाती हैं और पूजा के समय लाल, गुलाबी, सुनहरे, पीले आदि सुन्दर / नए वस्त्र पहनती हैं। इस दिन काले, सफ़ेद आदि वस्त्र पहना वर्जित मन गया है।

करवाचौथ की पूजन सामग्री:
चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत, सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के लिए पैसे आदि।


इन रंगों के वस्त्र धारण करना माना जाता है शुभ-

करवा चौथ के दिन सुहागिनों को लाल, गुलाबी, पीला, हरा और महरून रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पहली बार करवा चौथ व्रत रखने वाली स्त्रियों को लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं अगर शादी का जोड़ा पहनती हैं तो, इसे और उत्तम माना जाता है।करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियों को भूरा रंग पहनने से बचना चाहिए। मान्यता है कि यह रंग राहु और केतु का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान काला पहनने की मनाही होती है। यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि मंगलसूत्र के काले दाने के अलावा इस दिन किसी काले रंग का प्रयोग न करें।

करवा चौथ का महत्‍व
धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार करवा चौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इसके अलावा महाभारत काल में द्रौपदी ने भी यह व्रत रखा था। करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्‍य दिया जाता है। इस दौरान मिट्टी के करवे का उपयोग किया जाता है। चतुर्थी तिथि को चौथ कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश ,गौरी तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है।

आचार्य पं.मुक्ति नारायण पांडे

राजधानी रायपुर के प्रसिद्ध आचार्य पं.मुक्ति नारायण पांडेय के अनुसार इस बार करवा चौथ पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में पडेगा। साथ ही आज रात 11 बजकर 35 मिनट तक वरीयान योग भी बनेगा। इसे मंगलदायक कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला माना जाता है। 24 अक्तूबर को चतुर्थी का मान रात्रि में दो बजकर 51 मिनट तक, रोहिणी नक्षत्र रात 11 बजकर 35 मिनट पर्यंत, वरियान योग भी रात को 11 बजकर 13 मिनट तक है। इस बार करवा चौथ पर ऐसे शुभ योग बन रहे हैं। चंद्रमा की स्थिति रोहिणी नक्षत्र पर निर्भर है। चंद्रमा रोहिणी से अत्यन्त प्रेम करते हैं इसलिए इस दिन व्रत रखने से व्रती महिला के पति को दीर्घायु के साथ ही उनके प्रेम और दांपत्य जीवन में मधुरता की प्राप्ति होती है।

करवाचौथ की प्रचलित कथा

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं। साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।

साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया। इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।

सभी माताओं और बहनों को सुहाग पर्व करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनायें…