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आगामी चुनाव में भाजपा में हो सकता है बड़ा बदलाव,क्या हारे हुए दिग्गजों का होगा सफाया????

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आगामी चुनाव में भाजपा में हो सकता है बड़ा बदलाव,क्या हारे हुए दिग्गजों का होगा सफाया???


पार्टी दिखाएगी उन्हें बाहर का रास्ता या झुनझुने से चलाना होगा काम……

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को होने में बहुत समय शेष नही रह गए हैं।भाजपा अपनी ओर से पूरी तैयारी में लग चुकी है। जिस प्रकार से केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ में चुनावी तैयारियों को अंजाम देने के लिए लगातार बैठकों का दौर चला रहा है उससे ऐसा समझा जा सकता है कि जिस प्रकार से वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ बीजेपी को कांग्रेस से करारी हार मिली थी उसके लिए किसी खास रणनीति की तैयारी की जा रही है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में पूर्व एवं वर्तमान सांसदों की टिकट काटकर लोगों को सामने लाया गया था जिसका परिणाम था कि 11 लोकसभा सीटों में 9 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

इस फार्मूला का उपयोग आगामी विधानसभा चुनाव में भी पार्टी नेतृत्व द्वारा किया जा सकता है। इस बात के कयास राजनीतिक गलियारों में हर रोज बैठने वाले लोगों के द्वारा लगाये जा रहे है। वहीं भाजपा में टिकट कटने वाली खबरों ने सुर्खियां बटोरना शुरू कर दिया है।ऐसी चर्चा है कि पार्टी अपनी ओर से बहुत कुछ बदलाव भी करने वाली हैं।

क्या हो सकती है रणनीति, टिकट थ्योरी क्या है

भाजपा नेतृत्व सर्वप्रथम यह जानने में लगी हुई है कि आखिरकार वर्ष 2018 में किन कमियों की वजह से इतनी बुरी हार भाजपा को छत्तीसगढ़ में झेलनी पड़ी थी। वही जिन नेताओं की वजह से लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया उनकी भी सूची बनाई जा रही होगी। जिस प्रकार से बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जनता की नब्ज पकड़ते हुए लोगों से मिलकर उनकी इच्छा पूछकर और उनकी जरूरतों के मुताबिक जन घोषणा पत्र तैयार किया था उसी प्रकार भाजपा नेतृत्व यह प्रयास करेगी की भारतीय जनता पार्टी का जन घोषणा पत्र आगामी विधानसभा चुनाव का खास हो।

बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार की वजह से इस बार कई दिग्गजों के टिकट कटने की संभावना वाली खबरों को झुठलाया नहीं जा सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि 90 विधानसभा सीटों में से 14 विधानसभा सीटों पर ही भाजपा के विधायक हैं जिसमें से खुद रमन सिंह ने जो कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री है उन्होंने जैसे-तैसे अपनी सीट बचाई थी।

ऐसे में यह तो तय है जीत कर आए 14 लोगों में से भी कई लोगों को पार्टी की तरफ से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा और इस प्रकार के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार कई युवाओं को पार्टी किस्मत आजमाने के लिए मौका देना चाह रही है। भाजपा इसका भी प्रयास करेगी कि इससे पहले कि जनता यह सवाल पूछे कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा एक कद्दावर नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर के चुनाव में उतारा जाए ताकि लोगों को ये मालूम हो कि उनका सीएम भाजपा की तरफ से कैसा है।उस चेहरे को सामने लाने से भी पार्टी को बड़ा फायदा मिल सके।

चर्चा इस बात की भी जोरो पर है कि वर्तमान कुछ सांसदों को भी पार्टी विधानसभा में चुनाव में उतार सकती है।इसमे में कम से कम 7 सांसदों को पार्टी अगले विधानसभा में प्रत्याशी बनाकर उतार सकती है।पिछले चुनाव में हारने वाले लगभग सभी नेताओं को पार्टी अगले चुनाव में टिकट नही देने के मूड में भी है।इसमे बड़े नामो में बिलासपुर से अमर अग्रवाल, कसडोल से गौरीशंकर अग्रवाल, रायपुर से राजेश मुड़त सहित बहुत से नेता है।जिनको आगामी चुनाव में शायद पार्टी मौका न दे।

पार्टी संगठन आगामी चुनाव में पार्टी के अलावा अलग अलग क्षेत्र के लोगो को भी चुनावी समर में अपना प्रत्याशी बनाकर उतार भी सकती है।पार्टी देश के अलग राज्यो के फार्मूले को छत्तीसगढ़ में भी आजमा सकती है।

क्यों हुई थी भाजपा की करारी हार

जिस प्रकार से बीते वर्ष 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावो में भाजपा को करारी हार मिली थी। उसे राजनीतिक पंडितों द्वारा ऐतिहासिक बताया जा रहा था। भाजपा की करारी हार की वैसे तो कई वजहें बताई गई है मगर मुख्य रूप से कुछ वजह निम्न है-“जिस प्रकार से भाजपा ने बीते चुनाव के दौरान किसानों के लिए जो घोषणा की थी वह समय पर उसे पूरा करने में असफल रहे।

शिक्षाकर्मी सहित नौकरीपेशा से जुड़े लोग भी भाजपा सरकार से प्रताड़ित रहे।इनकी मांगो पर भी उस समय सरकार ने ध्यान नही दिया।अफसरो की मनमानी से पार्टी व सरकार की किरकिरी खूब हुई थी।ऐसे बहुत से कारण है।जिनकी वजह से भाजपा की सरकार को जनता ने सत्ता से दूर कर दिया था।

चुनावी वर्ष में धान बोनस जैसे वादों को भी पूरा करने का प्रयास भाजपा ने जरूर किया मगर उसका फायदा वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को बिल्कुल भी नहीं मिला।

प्रदेश के युवाओं के लिए बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में रहा भाजपा की सरकार में सरकारी नौकरियां निकल ही नहीं रही थी और जो नौकरियां निकल रही थी उसमें आउटसोर्सिंग से बाहर के लोगों को अवसर मिल रहा था जिसकी वजह से युवा बहुत ज्यादा निराश हो गए थे।

आदिवासी इलाकों में पेशा कानून और ग्राम सभा की वरीयता का कानून लागू नहीं किया गया। आदिवासी जमीनों की लूट, नक्सलवाद के नाम पर दमन, विस्थापन आदिवासियों की नाराजगी के कारण भी रहे और यही वजह थी कि राज्य के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा के विधायक बुरी तरह हार गए।

इन सबके अलावा पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता भी अपनी सरकार से नाराज दिख रहे थे।कार्यकर्ताओं के कोई भी काम नही हो पाते थे।एक दो मंत्रियों के अलावा कोई भी मंत्री पार्टी कार्यकर्ताओं का कार्य नही करता था।कार्यकर्ताओं का तिरस्कार करने के बाते आम हो गयी थी।

भाजपा के एक पुराने नेता का कहना है कि पार्टी को बहुत कुछ बदलने की आवश्यकता है।पार्टी संगठन को आगामी चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए कार्यकर्ताओं को जगाने की जरूरत है।पार्टी आज भी अगर अपनी पुरानी कार्यशैली को नही बदलती है तो सत्ता हासिल कर पाना नामुमकिन होगा।अब पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ में पार्टी को पुनः मजबूत करने के लिए क्या फैसला करेगी यह आने वाले समय मे ही पता चलेगा।