सरगुजा के सम्पूर्ण आदिवासी समाज को विधायक बृहस्पत सिंह द्वारा अंगूठा छाप आदिवासी कहे जाने पर भाजपा जनजाति मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कड़े शब्दों में निंदा की है. नेताम ने आगे कहा है कि जिस आदिवासी समाज के रहमो-करम से विधायक जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन है, उन्हें ही लताड़ना मानसिक दिवालियापन का स्पष्ट उदाहरण प्रदर्शित करता है.
मुझे नहीं लगता कि कोई सच्चा आदिवासी उनके इस कथन से आक्रोशित नही होगा, स्वयं आदिवासी होकर सम्पूर्ण आदिवासी समाज के प्रति ऐसी दुर्भावना रखते है. इससे विधायक के विरुद्ध निंदा के शब्द भी शायद कम पड़ जायेंगे.विधायक के ऐसे घिनोने कृत्य से सम्पूर्ण आदिवासी समाज को चिंतन करना होगा,ताकि कोई भी व्यक्ति आदिवासी समाज से ऊपर उठकर इस प्रकार का दुस्साहस दुबारा न कर सके.
लोकतंत्र के चौथे मजबूत स्तम्भकार पत्रकारों को भी अपनी दिमागी हालत ठीक किये जाने के विधायक बृहस्पत सिंह द्वारा दिए गए नसीहत पर भी सांसद नेताम ने तीव्र शब्दों में भर्तसना की है,आगे कहा कि मुझे नहीं मालुम था कि मेरे द्वारा विधायक को मानहानि की चेतावनी दिये जाने के बाद से उनका मानसिक संतुलन वास्तव में और बिगड़ जाएगा. यह तो वही बात हो गयी कि *”जिस छलनी में 36 छेद, वो क्या करेगा बात –विभेद”* ।