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तहसीलों में हो रहा है लोगो के साथ सिर्फ मजाक, छोटे छोटे कामो के लिए सीपत तहसील में लोग लगा रहे है चक्कर….

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तहसीलों में हो रहा है लोगो के साथ सिर्फ मजाक, छोटे छोटे कामो के लिए आए दिन सीपत तहसील में लोग लगा रहे है चक्कर…..

केंद्र सरकार भ्रष्टाचार को कम करने में लगातार कई प्रकार की पहल करने में लगी रहती है तो वहीं दूसरी ओर अधिकारी और उनके बाबू लोगों को परेशान कर यह संदेश आम जनता को देते रहते है कि भ्रष्टाचार पहले से और ज्यादा ताकतवर हो गया है। सीपत तहसील से प्रकरण क्रमांक 17अ, आदेश दिनांक 19/06/ 2019 के अनुसार आवेदिका की भूमि का नामांतरण तो हो गया मगर उक्त आदेश/ उक्त प्रकरण क्रमांक को ऑनलाइन खोजने पर वह नामांतरण गायब है।

ऐसे में अगर आपको अपने आदेश की किसी भी प्रकार की कोई प्रतिलिपि चाहिए तो आपको मस्तूरी तहसील के चक्कर लगाने होंगे और सिर्फ चक्कर ही नहीं लगाने होंगे बल्कि चक्कर लगाते-लगाते आप की चप्पलें भी घिस जानी तय ही है। ऐसा बताया जाता है कि सीपत तहसील का क्षेत्र बहुत बड़ा है और सीपत क्षेत्र के आसपास के निवासी यदि तहसील से संबंधित अपने किसी भी प्रकरण की नकल चाहते हैं तो उन्हें मस्तूरी तहसील तक दौड़ लगानी पड़ती है।

क्षेत्र की जनता को एक बार ही नहीं बल्कि अनेकों बार अफसरों और बाबुओं के हाथ पांव जोड़ने पड़ते है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ क्षेत्र की जनता को मिल ही नही रहा है।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस प्रकार से डिजिटल इंडिया को लेकर गंभीर हैं तो वहीं दूसरी ओर अफसर और बाबू ऑनलाइन सुविधा जैसे शब्दों को इन खबरों की वजह से धूमिल करते दिख रहे हैं। ऐसे अफसरों और बाबुओं ने डिजिटल इंडिया को बदनाम करने में किसी भी प्रकार की कोई कसर छोड़ी ही नहीं है।

अब ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ऑनलाइन सुविधाओं को लेकर के जनता की परेशानियों पर कोई कड़ा कदम लेंगे या नहीं और ऐसे आलसी और घूसखोर बाबू पर सरकारें नकेल कस पाएगी या नही। आम जनता कब तक खून के आंसू रोएगी इसका जवाब कौन देगा यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है।जनता की जेबो को खाली करने के लिए सारे हथकंडे अपनाने का काम तहसील के बाबू कर रहे है।जिला प्रशासन के साथ ही प्रदेश सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।