छत्तीसगढ़ में बॉर्डर के पास का खेल फिर से शुरू हो ही गया।पूर्व की रमन सरकार में चेक पोस्ट की जो कहानी बन्द हो गयी थी वो कहानी भूपेश सरकार में तेज गति के साथ शुरू हो चुकी है।इन दिनों आरटीओ और पुलिस की ओर से संयुक्त वसूली अभियान चलाया जा रहा है। एक और पूरे प्रदेश में एक बार फिर से आरटीओ चेक पोस्ट खोल दिए गए हैं। यह वही चेक पोस्ट हैं जिन्हें, पिछली सरकार के कार्यकाल में इसलिए बंद कर दिया गया था क्योंकि, यहां अवैध वसूली होती थी।
इन चेक पोस्टों के बारे में यहाँ तक कहा जाता है कि इसमें करीब 100 से 200 करोड़ का खेल है।प्रदेश के हर क्षेत्र में इस खेल की धमाकेदार शुरुआत कर दी गयी है।सुशासन की बात करने वाली भूपेश सरकार के राज में आज यह काम फलफूल रहा है।सत्तापक्ष के इस कारनामे को लेकर विपक्ष का चुप बैठकर देखना समझ से परे है।
यहां वाहन चालकों से अवैध वसूली की जा रही है।हर जगह का अपना स्टिकर इन लोगो के द्वारा दिया जाता है।उन्हें हनुमान छाप,गुलाब छाप स्टीकर पकड़ाया जाता है। यह स्टिकर एक समय तक का रहता है।जो ट्रांसपोर्ट वाले कभी कभार इस प्रदेश में गुजरते है उनको तो बड़ा फटका लगाया जाता है।जो हमेशा वाले है जिनकी ज्यादा गाड़िया है उनका रेट फिक्स है।वो महीने का महीना साहबों तक पहुचा देते है।इस खेल की बड़ी कहानी है।
वहीं दूसरी ओर बिलासपुर, पेंड्रा,अम्बिकापुर,रायगढ़,कोरबा,कवर्धा, राजनांदगांव सहित बस्तर में या कहा जाए तो पूरे प्रदेश में चेक पोस्ट की वसूली जोरो पर है।वाहन मालिकों को दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर वह परिवहन विभाग को मैनेज कर चल रहे हैं तो दूसरी ओर पुलिस को भी मैनेज करना पड़ रहा है। ज्यादातर परिवहन का काम करने वाले ट्रांसपोर्टर प्रदेश सरकार की वर्तमान नीतियों से त्रस्त हो चुके है।कोल व रेत के काम मे लगे ट्रांसपोर्टर पहले ही इस प्रदेश में स्पेशल टैक्स देते आ रहे है।अब चेक पोस्ट में भी पैसे देने पड़ रहे है।माइनिंग की अलग कहानी है उनको भी देना पड़ता है।अब ट्रांसपोर्टर किसको किसको भेंट चढ़ाए।प्रदेश के कुछ बड़े ट्रांसपोर्टरो का कहना है कि हम लोगो को तो ऐसा लगता है कि हम इन्ही लोगो के लिए ही काम कर रहे है।ऐसी ही स्थिति बनी रही तो बहुत जल्द इस काम को बंद करना ही ज्यादा अच्छा होगा।
इस मामले को लेकर जब हमने परिवहन सचिव टीपी वर्मा से बात की तो उनका कहना था कि इस मामले की जानकारी मुझे नही है।मामले की जानकारी लेकर ही कुछ कह पाऊंगा।