छत्तीसगढ़ की वर्तमान परिस्थितियों के बारे में आज पूरे देश मे चर्चा हो रही है।वो भी छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के एक वक्तव्य को लेकर हो रही है। छत्तीसगढ़ राज्य की सत्ता आज कांग्रेस पार्टी के हाँथो में है।प्रदेश की हर सरकार अपनी समग्र नीतियों के परिपालन की वजह से पहचानी जाती है।अच्छी नीतियां व सुव्यवस्थित कार्ययोजना प्रदेश की सरकार को एक मुकाम तक पहुँचाती है।प्रदेश की वर्तमान भूपेश सरकार को आज ढाई वर्ष बीत चुके है।प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी सरकार के कसीदे हर जगह पढ़ते हुए नजर आते है,अपनी कार्यशैली को सबसे अलग बताने की बाते तो हमेशा करते है,पर आज की स्थिति में प्रदेश की वास्तविकता क्या है,यह बात आज पूरा छत्तीसगढ़ समझता है।विकास तो शायद इस प्रदेश से लापता ही हो चुका है।
प्रदेश की भूपेश सरकार ने किसानों से किये वादे को पार्ट पार्ट में राशि देकर अपनी सोच को बताने की शुरुआत की,बेरोजगारो को आज तक भत्ता नही मिला,शराब बंदी के लिए गंगा जल की कसम खाने तक के कार्य किये।जितनी बाते चुनाव जीतने के लिए कही थी आज तक उनमें से किसी भी वादे को पूरा नही किया।स्वच्छ व ईमानदार सरकार का ढंका बजाने वालो कि वास्तविकता आज उजागर हो ही गयी।प्रदेश में हर जगह पैसों का ही खेल संचालित है।बिना पैसे के कोई काम नही होता।जनता त्रस्त हो चुकी है।प्रदेश में शराब के कारोबार का बड़ा खेल,रेत का अवैध उत्खनन, कोयला परिवहन पर नया टैक्स वसूली का काम,सीमेंट की प्रति बोरी पर नया टैक्स,बॉर्डर पर आरटीओ की तैनाती का खेल ऐसे बहुत से अनैतिक कार्य इस प्रदेश में अब खुलेआम संचालित है।प्रदेश के गांव गांव में जुआ, सट्टा और नशे का कारोबार बेधड़क जारी है।कानून नाम की चीज को ही खत्म कर दिया गया।सरकारी जमीनों को बेचने तक के काम इस सरकार ने शुरू कर दिए।इस खेल की आड़ में भूमाफिया और सफेदपोश नेताओ की तो लाटरी ही लग गयी है।महंगी जमीनों को कौड़ियों के दाम में लेकर बडा खेल चल रहा है।
देखा जाए तो आज प्रदेश की कानून व्यवस्था चरमरा गई है।ढाई साल की सत्ता में इतना ज्यादा कर्जा करके अपनी कौन सी नीतियों को अमलीजामा पहनाने में लगे हुए है।यह अपने आप मे सोचनीय प्रश्न है?आज प्रदेश की जनता को पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार याद आने लगी है।लोगो का मानना है कि इनसे अच्छी तो डॉ रमन सिंह की सरकार थी।आज प्रदेश का हर वर्ग अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है।
आज कांग्रेसियों के रूठने की वही स्थिति हो रही जो एक पुरानी लोककोक्ति हैं ;
काने को काना कहो ,काना जाएगो रूठ, होले होले पूछ ले तेरी कैसे गयी फुट…
ठीक इसी तरह माननीय कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जी की टिप्पणी है ; आज वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य गोबर राज्य हो गया है,अपने आप मे यह वक्तव्य किसी भी सरकार के लिए बहुत बड़ी बात है।इस बयान से प्रदेश की वास्तविकता उजागर हो गयी है।
छत्तीसगढ़ के नारे के साथ चिखला ,गोबर ,नरवा ,गरवा,घुरवा अउ बाड़ी सब बुझा गए एक्के दाड़ी……… के साथ ही घिसट रहा हैं।नव नियुक्तियों को आगामी तीन साल तक उनके पूर्ण वेतन से 70% वेतन भुगतान होगा शेष 30% का राज्य सरकार क्या करेगी ,बाद में अगली सरकार के लिए एक सरदर्दी छोड़ना हैं या सरकार तीन साल तक इस राशि का ब्याज देगी ??? प्रश्न अनुत्तरित हैं किया यहां प्रतिभाओं के साथ गुड़गोबर…ऐसे ही बेरोजगारों को आपने बेरोज़गारी भत्ता 1500रु प्रतिमाह देने का वादा किया था ,यहां भी युवाओं के साथ किया गुड़गोबर ; इसी तरह जिन किसान भाइयों को बरगला कर इन्होंने सरकार बनायी ,आज उन्हें कूपन/पर्ची, खरीदी की निर्धारित सीमा के झमेले में डालकर उनके बोनस का किया गुड़गोबर और सुनो आपने विपक्षियों की तो की ही ,अपने विधायकों की भी विधायक निधि नहीं छोड़ी ,किया यहां भी विकास कार्यों का गुड़गोबर ; जहां प्रदेश में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए ,नए भवनों से लेकर ख़रीदी में अन्य नए कीर्तिमान वहीं बच्चों को प्रमोट कर प्राथमिक शिक्षा से लेकर हाई स्कूल तक किया शिक्षा का गुड़गोबर ;
जहां छत्तीसगढ़ी परंपरा में आज भी होता हैं वचन संकल्प का मान ,वहां शराब के लिए किया गंगाजल का अपमान ,किया यहां भी संस्कृति का गुड़गोबर ; अब गोबर खरीद पर भी आ जाएं , आने वाले समय में गोबर चोरी ,गोबर की शुद्धता और उसकी उच्चकोटि की प्रामाणिकता, जिस भी आधार पर तय करवाते हैं ,उसके हिसाब से तो आगामी समय में कुछ क्षेत्रों के थाना प्रभारियों से लेकर हाईप्रोफाइल गोबर चोरी के मामलों की सीआईडी या सीबीआई जांच की मांग भी उठने लगेगी ,ऐसे गंभीर मामलों पर कहीं विपक्ष को भी सदन को घेरने की कार्यवाही न करनी पड़े ,आखिर यहां भी होगा न गुड़गोबर ; अब कोई भी सामान्य बुद्धियुक्त व्यक्ति इन परिस्थितियों में राज्य को गोबरमय पाएगा तो माननीय कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के कथन से सहमत होगा ही ….
वर्तमान सरकार की गलत नीतियों को प्रदेश की जनता में आज अच्छे से समझ रही है।एक सत्ताधारी दल के लिए उच्च न्यायालय का यह बयान कोई सामान्य बयान नही है।हाइकोर्ट के इस बयान के बाद प्रदेश की भूपेश सरकार को मनन व चिंतन करने की आवश्यकता है।आपने सत्ता पाने के लिए जनता से जो कहा था वो क्या पूरा कर सके?प्रदेश की सरकार को अपनी नीतियों के साथ ही अपनी कार्यशैली को भी बदलना होगा।देश मे शायद ही किसी प्रदेश की चुनी हुई सरकार को न्यायपालिका ने ऐसा कहा होगा, उच्च न्यायालय ने अपने इस बयान से प्रदेश की सरकार को आइना दिखा दिया।
लेखक★पंडित प्रसून चतुर्वेदी बिलासपुर