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छत्तीसगढ़ सरकार का अजीब फरमान…. सीनियर आईपीएस के बॉस बनाये गए जूनियर आईएएस…..???

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छत्तीसगढ़ सरकार का फैसला भी बड़ा अजीब सा रहा… सीनियर आईपीएस के ऊपर विराजित किये गए जूनियर प्रमोटी आईएएस :::

छत्तीसगढ़ सरकार के अपने नए नियम अन्य राज्यों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही भिन्न है।प्रदेश की वर्तमान सरकार अपने ही नए नियमावली बनाने की कोशिश में है।वैसे इस प्रदेश के किस्से तो बहुत है।आज हम दो दिन पूर्व प्रदेश सरकार के द्वारा निकाली गयी आईएएस अफसरों की जम्बो सूची की बात कर रहे है।वैसे भी प्रदेश की वर्तमान भूपेश सरकार कुछ करे या न करे पर तबादले का काम बहुत जल्दी व बडे पैमाने पर करती है।छत्तीसगढ़ में तबादला उद्योग चलाने की बात भी अकसर विपक्ष में बैठी भाजपा भी करती है।भूपेश सरकार ने आते ही नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसरों के तबादले बड़ी तीव्रता के साथ किये है।इतनी बड़ी तीव्रता से तबादला करने में गलतियां भी होना लाजिमी ही है।प्रदेश में दो दिन पूर्व एक बड़ी लंबी सूची आईएएस अफसरों की निकली।इस सूची में कई जिलों के कलेक्टर के साथ ही मंत्रालय में बदलाव हुआ।इस तबादले की सूची आने से पहले ही मीडिया में लगभग सभी अफसरों की नवीन पदस्थापना की जानकारी आ ही गयी थी।कहि न कहि सरकार की गोपनीयता पर भी सवाल उठते है।

इस तबादले की सूची के विषय पर चर्चा करते है।प्रदेश की भूपेश सरकार ने दो दिन पूर्व आईएएस अफसरों के तबादलो की लंबी सूची निकाली, इस सूची में राजनांदगांव में कलेक्टर के पद पर पदस्थ रहे आईएएस टीपी वर्मा को परिवहन मंत्रालय के सचिव की बागडोर सौप दी साथ ही परिवहन आयुक्त बनाकर एक बड़ी जिम्मेदारी भी दी।यह जिम्मेदारी इनको किस लिए मिली यह तो सभी जानते ही है।प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के परिवार से होने का फायदा आईएएस टीपी वर्मा को मिल ही गया।वैसे भी हर जगह परिवार के लोग सत्ता सुख का फायदा उठा ही लेते है।इसी कड़ी में आईएएस टीपी वर्मा भी अपने लाभ की व्यवस्था कर ही लिए।कांग्रेस की सत्ता प्रदेश में आते ही आईएएस टी पी वर्मा को दन्तेवाड़ा जैसे बड़े जिले में कलेक्टरी मिली उसके बाद राजनांदगांव जैसा जिला भी मिला।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्तेदार होने से टीपी वर्मा सीधे पहुँच गए परिवहन आयुक्त के पद पर।इस विभाग को वैसे मलाईदार विभाग भी कहा जाता है।छत्तीसगढ़ देश का ऐसा राज्य है जहाँ सरकार का अपना नियम अपनी शर्तों पर चल रहा है।देश के अन्य राज्यो में परिवहन आयुक्त की जिम्मेदारी सीनियर आईपीएस के कंधों पर होती है।वही छत्तीसगढ़ देश का ऐसा अकेला राज्य है जहाँ करीब 20 वर्षो से परिवहन आयुक्त के पद पर आईएएस अफसरों को बैठाला जा रहा है।आज भी यही ढर्राशाही अनवरत जारी है।परिवहन के काम को जितना अच्छा आईपीएस समझेगा उतना अच्छा शायद ही कोई आईएएस समझ पायेगा।

सीनियर आईपीएस के ऊपर जूनियर आईएएस को नियुक्त करने से सरकार के ऊपर कई सवाल उठते है।क्या प्रदेश की भूपेश सरकार के इस फैसले को उचित कहा जा सकता है।प्रदेश की सरकार को अपने इस फैसले पर मनन और चिंतन करने की आवश्यकता है।पुलिस महकमे के अंदर सरकार के इस फैसले पर सुगबुगाहट भी शुरू हो गयी है।अभी तक परिवहन आयुक्त के पद पर जितने भी आईएएस नियुक्त हुए,उनके साथ एडिशनल परिवहन आयुक्त के पद में आईपीएस को ही बैठाला गया पर उन दोनों में लगभग बैच की समानता लगभग होती ही थी।सीनियारिटी की बात को जरूर सोचा जाता था।पर इस सरकार ने नया अध्याय ही शुरू कर दिया।आज वर्तमान में एडिशनल परिवहन आयुक्त के पद पर सीनियर आईपीएस बैठे हुए है।वो भी बहुत जल्द शायद दो एक साल के अंदर एडीजी रैंक में पहुँच जाएंगे।इतने सीनियर आईपीएस के ऊपर एक जूनियर प्रमोटी आईएएस को परिवहन आयुक्त के पद पर नियुक्त करना समझ से परे है।भूपेश सरकार क्या ऐसा काम करके ही गड़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारे को चरितार्थ करेगी।

यह आदेश निकालकर वर्तमान भूपेश सरकार अपनी लचर कार्यप्रणाली को प्रदर्शित तो कर ही दी है।वैसे भी देश के इन दो प्रमुख पदों का विवाद बहुत पुराना है।दोनो अपने आपको एक बराबर आंकते ही है।आईएएस और आईपीएस में पावर को लेकर आपसी विवाद देश के कई राज्यों से अक्सर सुनाई भी देता है।सरकार के इस फैसले से इन दोनो में विवाद और बढ़ेगा। क्या प्रदेश की सरकार को इतने बड़े फैसले लेने से पहले इस मामले की जानकारी नही थी कि जिस विभाग में एडिशनल परिवहन आयुक्त के पद पर एक सीनियर आईपीएस नियुक्त है उसी विभाग में जूनियर आईएएस को उसका बॉस बनाकर नियुक्त करना सही नही होगा। इस प्रकार के फैसले से आईपीएस लॉबी भी नाराज हो सकती है? इस सरकार को तबादला करने की इतनी जल्दबाजी थी कि इस विषय पर ध्यान देना भी उचित नही समझी।

इस मामले से एक बात तो तय है कि प्रदेश की सरकार किस नियम से संचालित है।इसका आभास तो अब अफसरों को भी होने लगा।इस मामले में हमने प्रदेश के कुछ सीनियर आईपीएस अफसरो से बात भी की उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर सरकार के इस फैसले को गलत बताया।साथ ही यह भी कहा कि सीनियर आईपीएस अब अपने से 10 साल जूनियर प्रमोटी आईएएस को जवाब देने के लिए खड़े रहेगा।इस सरकार ने गजब ही कर दिया है।सरकार को अपना यह फैसला बदलना चाहिए।अगर परिवहन आयुक्त किसी आईएएस को बनाना ही था तो कम से कम सीनियर आईएएस को बनाती तो शायद यह बात आज नही उठती।ऐसे फैसलों से स्थिति सामान्य नही होती है।कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकार का यह फैसला कही से भी न्यायोचित प्रतीत नही होता है।सरकार अपने इस फैसले को लेकर मनन व चिंतन करे।

संपादक की कलम से✍️