रायपुर, छत्तीसगढ़ उजाला। छत्तीसगढ़ में चल रही वैक्सीन (टीका) पॉलिटिक्स के बीच राज्यपाल अनुसुईया उइके की इंट्री से सियासी पारा चढ़ गया है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर विधायक निधि से वैक्सीन खरीदी करने पर असहमति जताई है। राज्यपाल ने कहा कि विधायक निधि का उपयोग स्थानीय तौर पर हो। राज्यपाल ने विकास राशि से विधायकों को अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ एंबुलेंस उपलब्ध कराने का सुझाव दिया। राज्य में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) पर करीब 900 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
राज्यपाल के इस पत्र के आधार पर भाजपा ने अब विधायक निधि को क्षेत्र के विकास के लिए देने की मांग की है। इससे पहले राज्य सरकार ने सभी 90 विधायकों की विधायक निधि को वैक्सीन खरीदी के लिए आरक्षित कर दिया था। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 में विधायक निधि 182 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया जाएगा। कांग्रेस विधायक दल ने राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने पर सहमति दी थी, लेकिन भाजपा विधायकों ने सहमति नहीं दी है।
राज्यपाल की आपत्ति के बाद अब भाजपा विधायक मुख्यमंत्री से अपनी निधि वापस करने की मांग कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक राज्यपाल के पत्र का जिक्र कर विधायकों की निधि फ्रीज करने के प्रदेश सरकार के फैसले को तुगलकशाही की मिसाल बता रहे हैं। कौशिक ने कहा कि कोरोना सेस, डीएमएफ, कैंपा फंड और मुख्यमंत्री सहायता कोष में अब तक जमा सैकड़ों करोड़ रुपये से वैक्सीन खरीदने में प्रदेश सरकार की सांसें क्यों फूल रही है। कोरोना संक्रमण के खिलाफ जारी जंग में विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में जो राशि स्वीकृत कर दी है।
राज्यपाल ने सरकार को दिया सुझाव
राज्यपाल उइके ने ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण एवं कोरोना से बचाव एवं उपचार को तेजी से करने का सुझाव दिया। आक्सीजन सिलिंडर सप्लाई और अस्पतालों में भोजन व्यवस्था सुधार की बात कही। आदिवासी क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ाने के निर्देश दिए।