रायपुर। वैश्विक महामारी कोरोना की देश में दूसरी लहर चल रही है। इस दौरान मौत जिस तरह का तांडव कर रही है और इसकी भयावह तस्वीर श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक पसरी हुई है। दूसरी तरफ इस तरह के दुख भरे दृश्य के बारे में शायद ही किसी ने कभी सोचा होगा। जो इन दिनों देखने को मिल रहे हैं। इसे बेबसी कहेंगे या बदकिस्मती कि मरने के बाद शव के लिए भी संवेदनशीलता नहीं बची है।
मामला रायपुर के अंबेडकर अस्पताल का है। जहां नर्मदा बहाहुद नाम की महिला कुछ दिनों से कोविड-19 आईसोलेशन वॉर्ड में अपना इलाज करवा रही थी। इसी बीच कुछ दिनों बाद जब उनका एंटीजन टेस्ट किया गया तो रिपोर्ट निगेटिव आई। ऐसे मे घरवालों ने rt pcr टेस्ट भी करवा लिया। जिसकी रिपोर्ट अब तक आई नहीं थी कि उधर नर्मदा की मौत हो गई। ऐसे में अस्पताल और परिजनों के बीच तनातनी हो गई। परिजन कहने लगे कि रिपोर्ट तो नेगेटिव थी। ऐसे में परिजन मृतिका के शव को ले जाना चाहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन यही कहता रहा कि पेशेंट की मौत का सही कारण जब तक नहीं पता चलता, वे लाश को अपनी ही कस्टडी में रखेंगे। काफी देर तक परिजन शव ले जाने के लिए परेशान होते रहे। लेकिन जब उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझा। वह अस्पताल के स्ट्रेचर पर ही शव को लिटा कर सड़क पर निकल पड़े। अंबेडकर अस्पताल से शास्त्री चौक तक इसी तरह से शव को लेकर जाया जाता रहा।
इस असामाजिक घटना को देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया। आखिरकार शास्त्री चौक पर एक कार की मदद से अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाया गया। इसके बाद घर वालों ने स्ट्रेचर वहीं पर छोड़ दिया। ऐसे में जब अस्पताल वालों को अपने स्ट्रेचर की याद आई तो उन्होंने एंबुलेंस भेजकर उसे वापस मंगा लिया।गौरतलब है कि इंतजार संवेदनहीनता की भयावह तस्वीर लगातार देखने को मिल रही है। पॉज़िटिव नेगेटिव के आपसी मतभेद में मानवता की अर्थी स्ट्रेचर पर निकाली गयी, जिसने एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर दिया।
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