बिलासपुर। हाईकोर्ट ने जेजे एक्ट 2015 के प्रावधान के आधार पर अहम फैसला देते हुए निर्धारित किया है कि किसी के पक्ष में प्रचार करना पद के दुरुपयोग करने की श्रेणी में नहीं आता है। बाल कल्याण समिति कोरबा की अध्यक्ष श्रीमती मधु पांडे को आदेश दिनांक 11/04/2017 के द्वारा 03 वर्ष की अवधि हेतु बाल कल्याण समिति कोरबा के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था। इस दौरान उनके द्वारा ग्यारह एवं बारह नवंबर 2018 को भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने का आरोप लगाया गया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए शासन द्वारा शो कॉज नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया। जिसके जवाब में श्रीमती मधु पांडे द्वारा उक्त आरोपों से इनकार किया गया।
श्रीमती पांडे के कार्यकाल के 02 माह शेष बचे थे तब एकाएक ही शासन द्वारा दिनाँक 19/01/2021 को उन्हें पद से हटाने का आदेश दे दिया गया। मधु पांडे द्वारा उक्त आदेश को अवैधानिक व विधि विरुद्ध मानते हुए हाईकोर्ट में अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से रिट याचिका प्रस्तुत कर चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रोहित शर्मा ने हाईकोर्ट में यह पक्ष रखा कि किसी भी बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को केवल किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अंतर्गत ही हटाया जा सकता है। वह उक्त अधिनियम की धारा 27 (7) मे दिए गए आधारों पर ही हटाने की कार्यवाही की जा सकती है। किसी बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर किसी के पक्ष में प्रचार कर किस तरीके से लाभ पहुंचाया गया है ऐसा कोई भी तथ्य शो कॉज नोटिस में उल्लेखित नहीं है।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की एकल पीठ में उक्त याचिका में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ने यह निर्धारित किया कि किसी के पक्ष में प्रचार करने केवल मात्र से कोई भी अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि ऐसा कोई भी प्रावधान 2015 के अधिनियम में उल्लेखित नहीं है। बहरहाल इस आशय के साथ बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष को हटाने के आदेश को न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया।