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बिलासपुर रेल प्रशासन की अंग्रेजियत आज भी है कायम,रेलवे कर्मचारियों ने पैरों से मारकर तोड़ा माँ काली का मंदिर,हिंदुओ की भावनाओ को रेलवे कर रहा है आहत:

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बिलासपुर रेलवे प्रशासन हमेशा अपनी कार्यप्रणाली की वजह से सुर्खियों में रहता है। रेलवे अपनी कार्यवाही केवल हिंदू धर्म से संबंधित धार्मिक स्थलों पर दिखाता आया है। रेलवे क्षेत्र बहुत बड़े पैमाने पर फैला हुआ है अगर देखा जाए बिलासपुर का एक हिस्सा पूरा रेलवे के पास है। रेलवे क्षेत्र में बहुत बड़ी संख्या में लोगों का रहना होता है जिसमें कई धर्म के लोग अपने-अपने धार्मिक स्थल बनाकर काफी समय से रहते आ रहे हैं। रेलवे प्रशासन का अचानक जागना समझ से परे है।आज रेलवे क्षेत्र में मंदिर, मस्जिद और चर्च बने हुए है।ऐसा कुछ लोगो का कहना है कि रेलवे की जमीन में कई अन्य धर्म के लोग अवैध कब्जा किये हुए है।उन पर आज तक रेलवे प्रशासन की कोई भी कार्यवाही नही होना अपने आप मे रेल प्रशासन की मदमस्ती और अंग्रेजियत को दर्शाती है।

मकान नम्बर 620 के सामने न्यू लोको कॉलोनी बिलासपुर
मंदिर 32 वर्ष पुराना है मोहल्ले के लोगो की आस्था इससे जुड़ी हुई है।

अगर देखा जाए तो बिलासपुर के जमीन का बहुत बड़ा हिस्सा रेल्वे के पास है।इस विशाल क्षेत्र में बहुत से लोग अवैध रूप से रहते आ रहे है।इन जमीनों पर हिंदुओ के मंदिरों के अलावा बहुत सी मस्जिद और चर्च भी बनी हुई है।पर हिंदुओ के अलावा बाकी कब्जेधारी इनको नही दिखते है।

आज ऐसा लग रहा था मानो रेलवे के कर्मचारी आज मंदिर को हटाने के उद्देश्य से ही आये थे।बिना किसी को नोटिस या सूचना के ही मंदिर को तोड़ना समझ से परे लग रहा था।माँ काली का मंदिर बहुत ही छोटा सा था,उससे किसी भी प्रकार की दिक्कतें कहि से भी नही होती थी।रेलवे के इन कर्मचारियों के द्वारा मंदिरों को पैरों से तोड़ना अपने आप मे अपराध है।हिंदुओ की भावनाओं से खेलना क्या रेलवे के मदमस्त अफसरों और कर्मचारियों का खेल हो गया है।

गौरी यादव ,रानू यादव,सोनेलाल चौहान,वंदना बाग,पंकच कुमार,कला यादव,निधि साहू,सोनू पटेल,जे.एन. सिंह,नवल किशोर,सविता वर्मा
मोनिका यादव,गनेशी सागर,अमृता सिंह,सन्तोषी यादव,उर्मिला यादव,विमल यादव,निरंजन सिंह,सकूँन यादव सहित बहुत से मोहल्ले वासियो ने रेलवे की इस अव्यवहारिक कार्यवाही का विरोध भी किया।

रेलवे के द्वारा ऐसा वाक्या पहले भी कई बार किया जा चुका है,बिलासपुर रेलवे प्रशासन की मदमस्ती से केंद्र की सरकार को भी होना चाहिये।माँ काली जी के मंदिर को पैरों से मारकर तोड़ना क्या सही है,जिस रेलवे कर्मचारी के द्वारा यह दुस्साहस पूर्ण कार्य किया गया है उसके ऊपर तत्काल रेल प्रशासन कड़ी कार्यवाही करें।पर रेलवे जोन के जीएम हो या फिर डीआरएम इनको कोई भी मतलब नही रहता है।इनको आप कितना भी कॉल करो ये महाशय कभी फ़ोन अटेंड ही नही करते है। इनके मातहत अफसर जरूर कॉल करके पूछेंगे की आप ने जीएम साहब को क्यो कॉल किया।देश से अंग्रेज तो काफी पहले से चले गए,पर रेलवे के अफसरों की अंग्रेजियत आज भी कायम है।आज भी अंग्रेजो की तरह रेलवे के अफसरों की जीवनशैली को आसानी से देखा जा सकता है।आज भी उसी रुतबे और ठसन के साथ रेलवे अफसरों का रहना आज भी कायम है।

केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ आम लोगो के हितों पर कार्य करने की बात करते आ रही है।भाजपा की इस सरकार पर देश के कई दलों के द्वारा अक्सर हिंदुओ की पार्टी कहकर आरोप भी लगता है।पर हिंदुओ की सरकार में बिलासपुर रेलवे के अफसरों की मदमस्ती चरम पर आना विचारणीय सवाल है।माँ काली जी की मंदिर को पैरों और लातों से तोड़कर गिराना क्या सही है।इतनी बड़ी घटना के बाद रेलवे के जीएम और डीआरएम का अब तक कोई भी बयान नही आना कही न कही इन अफसरों की मिलीभगत को उजागर करता है। क्या केंद्रीय रेल मंत्री बिलासपुर जीएम और डीआरएम के साथ ही मंदिर को तोड़ने वालों के ऊपर कार्यवाही करेंगे।

आज बड़ी संख्या में हिंदुओं के अन्य संगठनों ने रेलवे प्रशासन की इस कुत्सित कार्यवाही को लेकर आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है।रेलवे क्षेत्र में बहुत से चर्च और मस्जिद भी बने हुए है कभी उन पर अवैध कब्जाधारियों का व्यवहार रेलवे प्रशासन के द्वारा नही किया जाता है।ऐसा लगता है कि रेलवे प्रशासन को केवल हिंदुओ के धार्मिक स्थानों से ही तकलीफ है।

आज से काफी समय पहले हिंदुओ की मंदिरों को तोड़ा जाता था।ऐसी जानकारी इतिहास में मिलती है।पाकिस्तान में आज भी इस प्रकार की खबरे देखने और सुनने में आती है।पर बिलासपुर रेलवे की मदमस्ती आज भी कायम है और केवल हिंदुओ की मंदिरों को तोड़ा जाना शर्मनाक है।

हिन्दू जागरण मंच,बजरंग दल,विहिप सहित अन्य हिन्दू संगठनों का कहना है कि हम रेल्वे की इस कार्यवाही का पुरजोर विरोध करते है।साथ ही हम रेलवे के उन कर्मचारियों पर अपराध कायम करवाना चाहते है जिनके द्वारा आज हमारी आराध्य माता काली जी की मंदिर को लातों से मारकर तोड़ा गया है।हम उन दैत्यों के ऊपर कार्यवाही की अपेक्षा रेल प्रशासन से चाहते है।अवैध कब्जे पर बहुत से लोग भी अपने धर्मो की स्थापना किये हुए है,पहले उन सभी पर कार्यवाही करे।

आज की जो कार्यवाही रेलवे के द्वारा की गई है वह बिल्कुल क्षमा योग्य भी नही है।काफी वर्षो से यहाँ के लोग माँ काली जी की मंदिर में पूजा पाठ करते आ रहे है।आज एकाएक रेलवे के मदमस्त अफसरों के मदमस्त कर्मचारी आते साथ लोगो के साथ धक्कामुक्की करते हुए मंदिर को पैरों से तोड़ना शुरू कर देते है।जब वहा उपस्थित महिलायें ओर पुरूष इन रेल्वे कर्मचारियों को ऐसा करने से मना करते है तो इनके ऊपर लाठियां भांजने लगते है।

क्या हिंदुओ की धार्मिक भावनाओ के साथ रेलवे अफसर खेलते रहेंगे।या फिर न्यायधानी के लोग सड़कों में उतरकर रेलवे के मदमस्त अफसरों का विरोध करेंगे।आगे बहुत कुछ होने की संभावना है अब इस मामले पर रेलवे क्या करेगा यह देखना बाकी है।