छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) द्वारा धान खरीदी को लेकर किसानों को बढ़ी हुई कीमत देने का वादा किए जाने के फलस्वरुप एक नवम्बर से शुरु हुई धान खरीदी पिछली बार की तुलना में कछुए की धीमी गति से चल रही है. फिलहाल किसान नई सरकार के गठन के इंतजार में हैं. चुनावी साल में धान खरीदी शुरु हुए एक माह बीत गए हैं, लेकिन 80 फीसदी उपार्जन केन्द्रों में खरीदी की बोहनी तक नहीं हुई है.
किसानों को नई सरकार बनने का इंतजार है. साथ ही उन्हें नई सरकार से घोषणा अनुरुप बढ़े दाम पर धान खरीदी की उम्मीद है. इसी उम्मीद में बलरामपुर (Balrampur) जिले के किसान धान लेकर उपार्जन केन्द्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान कराने की उम्मीद में राजनीतिक पार्टियों ने कई घोषणाएं की है. इसमें किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण धान खरीदी के समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा है.
बीजेपी ने की है ये घोषणा
बीजेपी ने अपनी पार्टी की सरकार बनने में किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की घोषणा की है. इसका एकमुश्त भुगतान किया जाएगा. वहीं कांग्रेस ने भी किसानों को धान खरीदी का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 3200 रुपये प्रति क्विंटल का भरोसा दिलाया है. हालांकि दोनों प्रमुख दलों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि धान की ऊंची कीमत फसल खरीद के किस वर्ष से दी जाएगी. जिले के किसान मानते हैं कि राजनीतिक दलों के वादों का असर धान खरीद पर हो रहा है.
किसान नई सरकार बनने का रहे इंतजार
किसानों को उम्मीद है कि सरकार जिस पार्टी की भी बने अपनी घोषणा पर अमल करते हुए किसानों को किए गए वादे के अनुसार, वो समर्थन मूल्य पर धान खरीदी करेगी. इसी उम्मीद पर किसान बैठे हैं और केन्द्रों तक अपनी धान लेकर जाने में फिलहाल रुचि कम दिखा रहे हैं. इस कारण किसानों ने अभी फसल की कटाई और मिंजाई कर उसे खेत खलिहान में रखा हुआ है. किसान नई सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं. तीन दिसम्बर को मतगणना के बाद स्थिति साफ हो जाएगी कि प्रदेश सरकार किस पार्टी की बनेगी.