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एक फुट ओवरब्रिज के चक्कर में लग गई रेलवे की क्लास, अब हाईकोर्ट में देना होगा जवाब

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बिलासपुर रेलवे स्टेशन (Bilaspur Railway Station) पर कई समय से निर्माण कार्य चल रहा है. यहां के फुट ओवरब्रिज (Foot Over Bridge) का निर्माण कार्य पिछले चार सालों से अधूरा पड़ा हुआ है. पुल का निर्माण नहीं होने के कारण पटरियों के बीच से स्कूली बच्चों को आना-जाना करना पड़ रहा है. इस पूरे मामले को लेकर अब बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने स्वतः संज्ञान लिया है. हाई कोर्ट ने मीडिया की खबरों को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया. चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने रेलवे को 48 घंटे में जवाब तलब किया है. इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को आहूत की गई है.

दरअसल बच्चों की जोखिम लेकर पटरी पार करते हुए फोटो और न्यूज मीडिया में प्रकाशित हुई थी, जिसे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने गंभीरता से लेते हुए स्वयं संज्ञान लिया. मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर इस पर सुनवाई की गई. रेलवे की ओर से केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा उपस्थित भी हुए. उनसे चीफ जस्टिस ने पूछा कि, रेलवे ऑफिसर्स क्या कर रहे हैं? उन्हें यह पता नहीं है कि कौन सा काम अधिक जरूरी है.

सीजे बोले- बच्चों की जिंदगी रेल पटरी के भरोसे छोडना शर्मनाक
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि इस तरह से हजारों बच्चों की जिंदगियों को रेल पटरी के भरोसे पर छोडना बेहद शर्मनाक है. हाईकोर्ट ने केंद्र शासन और रेलवे से साफ कहा है कि आप इस एफओबी का क्या करेंगे और कैसे पूरा करेंगे.  इन सब की पूरी विस्तृत जानकारी 48 घंटे के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत करें. वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होनी है.

4 साल से अधर में लटका ब्रिज का काम
बता दें, कि रेलवे स्टेशन के दूसरी ओर ढाई लाख से अधिक लोग रहते हैं. लाखों लोग स्टेशन के दोनों आना-जाना करते है. स्टेशन के इस तरफ आने-जाने के लिए बनाया गया पुराना फुट ओवर ब्रिज सालों पहले टूट चुका है. रेलवे ने नया फुट ओवर ब्रिज बनाने का काम शुरू किया, लेकिन 4 साल बाद भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया. इस कारण बच्चों को स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालना पड़ रहा है.