बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में रेडी टू इट मामले ने काफी तूल पकड़ा था। महिल समूहों द्वारा रेडी टू इट के निर्माण और वितरण पर रोक लगाकर मशीनों से निर्मण करने का फैसला लिया गया था, जिसका विरोध महिला समूहों द्वारा किया गया था। रेडी टू इट मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए 5 महिला स्वयं सहायता समूहों की 20 हजार महिलाओं की तरफ से बिलासपुर हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। रेडी टू इट मामले में शासन के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगाकर महिला स्वयं सहायता समूहों को तात्कालिक तौर पर राहत दी है। छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार को रेडी टू ईट मामले में हाईकोर्ट से झटका लगा है।
इस जनहित याचिका के पहले 230 अलग-अलग रिट पिटीशन भी दायर की गई थीं । गुरुवार को जस्टिस पी सेम कोशी की बेंच में सभी याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शासन के निर्णय पर आगामी सुनवाई तक अंतरिम रोक लगा दी है। इस रोक के बाद अब स्वयं सहायता समूह आगामी सुनवाई तक बिना किसी रोक के पहले की तरह कार्य कर सकेंगे। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट इस मामले में अंतिम सुनवाई 3 और 4 मार्च को तय करने का फैसला लिया है।
गौरलतब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये से महिलाओं और बच्चों में बांटे जाने वाले रेडी टू ईट का उत्पादन ऑटोमेटिक मशीन से कराने का निर्णय लिया है। बीते साल 22 नवंबर को आयोजित भूपेश कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। भूपेश बघेल सरकार का मानना है कि मशीनों से रेडी टू ईट व्यवस्था अपनाने से आहार की व्यवस्था और गुणवत्ता में सुधार होगा । सरकार के इस फैसले का महिला स्वय सहायता समूहों ने व्यापक स्तर पाए विरोध किया था। शासन ने जब अपना निर्णय नही बदला तो महिला स्वयं सहायता समूहों ने सरकार को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।