नौ दिन चले अढ़ाई कोस…
भूपेश सरकार के द्वारा पदोन्नति में नियमावली में नया पेंच डालना कही न कही किसी बड़े खेल को उजागर करता है……
छत्तीसगढ़ सरकार नियुक्तियों में पदोन्नतियों में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं; जिसमें छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के आरक्षकों एवं अधिकारियों के माध्यम से राज्य सरकार का एक नया खेल खेलना चाहती हैं जिसमें की आरक्षकों और अधिकारियों को अपने घोषणा पत्र के वादे अनुसार सेवा के 10 वर्ष पूर्ण लोगों को पदोन्नति देना चाहिए पर अब 2017 की नियमावली में आंशिक संशोधन कर नई कंडिका 7 अ अलग से जोड़ी गयी।
जिसके माध्यम से आरक्षकों और अधिकारियों को प्रशिक्षण के नाम से सीधे 45 दिन और 30 दिन के लिए तो आगे बढ़ा दिया गया।फिर इस अप्रासंगिक प्रशिक्षण के आयोजन में पहले तो विभागीय व्यवस्था ठीक होगी तदुपरांत पूरी संभावनाओं के साथ भ्रष्टाचार फिर नए स्वरूपों में दिखाई देगा क्योंकि नियमों में केवल शारीरिक दक्षता ही मापदंड नहीं बल्कि उच्च अधिकारियों के माध्यम से आने वाली गोपनीय चरित्रवाली भी रहेगी तो स्वाभाविक हैं नए कारनामों का इंतजाम होगा …
कुछ जवानों का कहना है कि हम लोगो के साथ सरकार सही व्यवहार नही कर रही है।इस नए नियम से हमको सरकार की मंशा साफ समझ मे आती है।प्रदेश की सरकार को इस मामले पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।हम अपने परिवार से कोसो दूर रहकर अपनी सेवा पूरी ईमानदारी से करते आ रहे है।हम लोगो के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिये।आज भी सरकार ने हम लोगो के साथ चुनाव के पहले जो वादा किया था उसको भी आज तक पूरा नही किया।आज भी हम सभी जवान आशाएं रखे हुए है।पदोन्नति के नए नियम बनने से किसका फायदा होगा यह बहुत आसानी से समझा जा सकता है।
काश कांग्रेस अपने घोषणा पत्र को एक बार इस कंडिका को जोड़ने से पहले स्वाध्याय कर लेती ,तो छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के कर्मचारियों और अधिकारियों में वो आक्रोश न उत्पन्न होता ; जिस प्रकार से आज तक सदैव राज्य सरकारों द्वारा वर्दीधारी जवानों को शोषित ,पीड़ित किया गया जिसमें विशेषकर सशस्त्र बल, नगर सेना आदि के लिए दुर्भाग्यवश कभी कोई सुधार आयोग का गठन नहीं किया गया पर उनकी सेवा अवधि से लेकर उनके भत्ते ,छुट्टियां, पदोन्नतियों पर सदैव गाज गिरी…
क्या इन जवानों को प्रदेश की सरकार से वो मिला जिसके वादे इनसे किये गए थे।क्या इनके साथ छल किया जा रहा है?ऐसे बहुत से सवाल इन जवानों के अंदर आज भी चल रहे है,जिनका समाधान करने की आवश्यकता है।सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश की वर्तमान भूपेश सरकार यह नया नियम किस उद्देश्य से बना रही है।पदोन्नति के नियमो में बड़े बदलाव करके सरकार अपनी किस मंशा को पूरा करना चाह रही है।