जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस आपसी घमासान में ही अन्य राज्यों में हो रही अपनी हालात की तरह फंसी हुई है उसे देखते हुए यह साफ समझा जा सकता है कि राज्य में पूर्ण बहुमत से बनी कांग्रेस की सरकार तनिक भी कम सीटों से अगर आई होती तो अब तक में यह सरकार भरभरा कर गिर चुकी होती। राज्य में विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य को काफी दिनों तक मुख्यमंत्री से वंचित भी रहना पड़ा था।उस समय मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने वाले चार केंडिडेट थे,सभी अपनी जुगत में लगे हुए थे।कई दिनों के ड्रामें के बाद कांग्रेस के हाईकमान ने अपना मुख्यमंत्री तय कर पाया था।
उसके बाद राज्य की जनता यह समझ चुकी थी कि पार्टी में ही कई बड़ी आपसी दरारें है जिसे भरना दिल्ली में बैठे लोगों के लिए भी आसान नहीं होगा। हालांकि अंततः भूपेश बघेल को राज्य की कमान दे दी गई और अन्य कई बड़े कद्दावर नेताओं को असंतुष्ट किया गया। वैसे तो सीएम की रेस में कुल 3 से 4 लोग थे मगर सबसे ज्यादा कयास लगाए जा रहे थे सरगुजा के महाराजा और वर्तमान में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के मुख्यमंत्री बनने की। भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसी खबरें बाहर निकल कर आई कि राज्य में ढाई साल बाद मुख्यमंत्री पद में बदलाव किया जाएगा और टीएस सिंह देव को राज्य की कमान दी जाएगी।पर यह आज तक नही हो पाया।
मगर बीते कुछ दिनों पहले ही 17 जून को राज्य में कांग्रेस की सरकार को ढाई वर्ष पूरे हो चुके हैं आलम यह है की टीएस सिंह देव को कुर्सी देने की जगह लगातार उनकी छवि खराब कर उन्हें विवादों में डाला जा रहा है,इसके अलावा कोरोना काल मे स्वास्थ्य विभाग की बैठकों को भी स्वयं मुख्यमंत्री अटेंड करते रहे।सूत्रों के अनुसार एक बात फिर से सुनने को आई थी कि टी एस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे।शायद इसी खबर को देखते हुए बृहस्पत सिंह ने बवाल मचाया था।अब यह बवाल बृहस्पत सिंह ने खुद ही किया या किसी और के कहने पर।ऐसे बहुत से सवाल राजनीतिक गलियारों में चल रहे है।मुख्यमंत्री की कुर्सी का विवाद दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है।अब ऐसा महसूस भी होने लगा है कि यह विवाद आगे और भी बढ़ेगा।छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बढ़ते इन विवादों का फायदा किसी तीसरे को मिल सकता है। इन सबके बीच इसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी को मिलने वाला है तो वह है सीएम के वर्तमान में प्रबल दावेदार और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष चरण दास महंत। गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आगामी 1 अगस्त तक सीएम के बदलाव की बात कहीं जा रही है। राज्य के राजनीतिक गलियारों में फिलहाल छत्तीसगढ़ के अगले सीएम के लिए चरणदास महंत का नाम लिया जा रहा है।
• कौन है चरणदास महंत
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कोरबा लोकसभा सीट से करीब 4000 वोटों से हारने वाले चरणदास महंत का जन्म छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा में हुआ। वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष चरण दास महंत के शिक्षा-दीक्षा की बात करें तो वह पीएचडी की डिग्री हासिल किए हुए है।
प्राप्त जानकारियों के अनुसार उनकी राजनीति का सफर सर्वप्रथम 1980 में विधायक बनकर शुरू हुआ वही वह दुबारा 1985 में भी विधानसभा का चुनाव जीत कर आए। वर्ष 1993 से लेकर 98 तक वह संयुक्त मध्यप्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं। 2009 लोकसभा के चुनाव में वह कोरबा लोकसभा से सांसद चुने गए।
लंबी संसदीय अनुभव रखने वाले चरणदास महंत की गिनती प्रदेश के कद्दावर नेताओं में रही है। हालांकि इन दिनों उनके पास जो पद है इस पद से वे भी संतुष्ट नहीं है और उन्हें भी इसी बात का झांसा देकर के बैठाया गया था कि आपको भी छत्तीसगढ़ का सीएम बनाया जाएगा मगर इन दिनों चरणदास महंत के छत्तीसगढ़ का सीएम बनने की दावेदारी मजबूत हो होती दिख रही है और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी 1 अगस्त तक छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में किसी बड़े बदलाव का आसार है।
छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजनीति ने बदलाव होना तो लगभग तय ही है।कही न कही दिल्ली आलाकमान भी इस बदलाव को अब शायद तय कर ही देगा।आलाकमान भी कही न कही भूपेश बघेल से असन्तुष्ट सा दिखने लगा है।अब प्रदेश कांग्रेस में क्या क्या होगा यह देखना बाकी है…….
ऋषभ तिवारी (विवान)
(राजनीतिक उठापटक में रुचि
रखने वाले स्वतंत्र पत्रकार)