मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट की बदहाली आई सामने, मुंगेली जिले में गौठानो की दुर्दशा पर कलेक्टर बसंत की चुप्पी समझ से परे
छत्तीसगढ़ की वर्तमान भूपेश सरकार ने गौठानो को लेकर प्रदेश में गौमाता की सेवा को लेकर वृहद योजना शुरू तो जरूर की थी,इस योजना की शुरुआत भी बड़े धमाकेदार रूप से किया गया था।जिससे आम जनता को यह एहसास हुआ था की प्रदेश की सरकार गौ माता की सेवा एक नए तरीके से कर रही है, पर वर्तमान में प्रदेश के मुंगेली जिले में स्थित ग्राम पंचायतों में बने गौठान अपनी दुर्दशा दिखा रहे हैं।गोठानो से स्वसहायता समूहों को जोड़ा गया,समूह के माध्यम से सरकार गोबर खाद खरीद भी रही है।अब तक प्रदेश सरकार ने करोड़ो की गोबर खाद इन गौठानो से खरीदी भी,ऐसा सरकार का कहना है।सरकार के बड़े बयान तो जरूर आते है पर वास्तविकता कुछ और नजर आती है।मुंगेली जिले में गौठानो कि दुर्दशा बदहाल होती साफ दिख रही है।जिले के कलेक्टर को इस मामले पर ध्यान देने की आवश्यकता है,पर पता नही अफसर अपने एसी कार और एसी दफ्तर से कब बाहर आकर मैदानी इलाकों का दौरा करेंगे।
इस मामले पर कलेक्टर अजित बसंत जी का क्या कहना है यह आप व्हाट्सएप की इस चैटिंग में देख सकते है।इनका कहना हैं कि व्हाट्सएप पर सवालों का रिप्लाई नही दिया जाता है।ऑफिस में आकर सवाल पूछिये…….
पथरिया रोड में स्थित ग्राम लोधा में भी सरकार ने गौठान बनाकर एक अच्छी शुरुआत तो की थी पर आज की स्थिति में ग्राम लोहदा में बने शेड टूटे हुए दिखाई दे रहे हैं।जो कार्य हुए थे वो जर्जर हो रहे है।मुंगेली जिले के गौठानो की बदहाली को कोई देखने वाला नही है। जिले में बैठे कलेक्टर अपने ऐसी चेंबर के बाहर भी निकलकर अगर देखते तो ऐसी बहुत सारी खामियां उनको नजर आएंगी। ऐसा लगता है कि जिले के कलेक्टर को मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट से कोई सरोकार ही नही है।
ग्राम लोहदा के लोगों ने छत्तीसगढ़ उजाला के संवाददाता को बताया कि सरपंच के द्वारा गौठान की व्यवस्था सही तरीके से नहीं की जाती है,यहाँ गायों को चारा पानी भी सही तरीके से नही दिया जाता है।जो सेड लगे थे वो भी टूट गए है।गौठानो में शेड़ टूटकर किनारे पड़े हुए हैं जिले के बड़े अफसरों को भी इसकी सूचना हम लोगों के द्वारा दी जा चुकी है उसके बाद भी जिले के अफसर इस गौठान को दुरुस्त करने का काम अभी तक नहीं कर पाए हैं।इस मामले में हमने जिले के कलेक्टर अजित बसंत जी बात करने की कोशिश की,पर कलेक्टर साहब ने हमारा फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा ।
इस मामले को लेकर हमने कलेक्टर महोदय को व्हाट्सएप में मैसेज भी किया जिस पर उनका कहना यह था कि सवाल पूछना हो तो मेरे ऑफिस में आए।मैं व्हाट्सएप में किसी भी सवाल का जवाब नहीं देता हूं।एक तरफ आधुनिकता की दुनिया में सरकारे अपना सारा काम सोशल मीडिया व व्हाट्सएप से कर रही हैं ,वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में पदस्थ कलेक्टर किसी भी मामले की बात करने के लिए प्रत्यक्ष उपस्थित होने की बात करते हैं। मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट की धज्जियां मुंगेली जिले में साफ नजर आ रही है। अगर प्रदेश के एक जिले का यह हाल है तो आप कल्पना कर सकते हैं पूरे प्रदेश के गौठानों की वर्तमान स्थिति कैसी होगी।
सवाल पूछने पर कलेक्टर का जवाब नही देना अपने आप मे समझ से परे है। प्रदेश की भूपेश सरकार की अच्छी योजनाओं को मुंगेली जिले के अफसर कैसे पलीता लगाने में लगे हुए है इस मामले से यह बात बहुत आसानी से समझा जा सकता है।