छत्तीसगढ़ में बड़ा क्षेत्र वनांचल से परिपूर्ण है।प्रदेश में एक बड़ी आबादी आदिवासियों की है।छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी के द्वारा भोलेभाले आदिवासियो को टारगेट किया जा रहा है।बड़े पैमाने पर इन आदिवासियों को ईसाई बनाने का काम छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ में आज के हालात बहुत अच्छे तो नही है।सरकार अपनी लचर व्यवस्था को सुदृढ कर पाने में भी पूरी तरह से असफल साबित हो रही है।आज भी इन सुदूर क्षेत्रों में सरकार ने विकास नही किया है।आज भी ये वन क्षेत्र विकास की दुनिया से कोसो दूर है।इन आदिवासियों का धर्मांतरण करने का काम बड़े जोरो पर सुनियोजित तरीके से संचालित है।इन भोले भाले आदिवासियों को ईसाई बनाने का काम पूरे प्रदेश में बेख़ौफ़ होकर किया जा रहा है।
प्रदेश के एक तेजतर्रार आईपीएस ने इस बात को लेकर अपने पत्र में यह बात कही भी है।पिछले दिनों सुकमा एसपी सुनील शर्मा के धर्मांतरण वाले पत्र ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक रंग ले लिया है| प्रदेश में धर्म परिवर्तन को लेकर सियासत शुरू हो गई है. वहीं अब भाजपा से राज्यसभा सांसद राम विचार नेताम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग कर डाली है। उन्होंने सुकमा एसपी के 12 जुलाई को लिखे पत्र का हवाला भी दिया है।सांसद रामविचार नेताम ने लिखा है कि ऐसी स्थिति छत्तीसगढ़ के सभी क्षेत्रों में है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में हो रहे धर्मांतरण में प्रदेश सरकार का संरक्षण और संलिप्तता स्पष्ट है।
इसके साथ ही हिन्दू जागरण मंच ने भी प्रदेश में बढ़ते धर्मांतरण के मामलों की बात कही है।हिन्दू जागरण मंच के प्रांत के नेताओ ने कहा है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार अगर इस मामले पर कड़ी कार्यवाही नही करेगी तो हम अपनी बातों को लेकर सड़को पर उतरेंगे,इसके साथ ही भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को भी ज्ञापन सौपेंगे।प्रदेश के हालत अच्छे नही है।प्रदेश की कांग्रेस सरकार सोने में मस्त पड़ी हुई है।प्रदेश सरकार एक आईपीएस के पत्र को भी गंभीरता से नही ले रही है।इससे यह जाहिर होता है कि धर्मांतरण के मामलों पर भुपेश सरकार कोई ठोस कार्यवाही करने के इरादे में नही है।प्रदेश के मुख्यमंत्री को जगाने के लिए हम लोग सड़को पर उतरकर आंदोलन करेंगे।प्रदेश में लवजेहाद के मामले हर दिन सुनने में आते है इस पर कठोर कानून बनाने की भी आवश्यकता है।पूरे प्रदेश में धर्मांतरण की घटना सुनने में आती है पर ऐसा लगता है कि प्रदेश की सरकार को इस सब मामलो से कोई सरोकार ही नही है।
मंत्रियों द्वारा धर्मांतरण के पक्ष में बयान देकर आदिवासियों की मूल संस्कृति, अस्तित्व एवं अस्मिता को नष्ट करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। धर्मांतरण पर जिला पुलिस अधीक्षक की स्वीकारोक्ति को प्रकाश में लाया जाना अत्यंत गंभीर एवं चिंतनीय है। सांसद राम विचार नेताम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से यथोचित कार्रवाई के लिए आदेशित करने का आग्रह किया है।
विधानसभा मे भाजपा विधायक दल के नेता धरमलाल कौशिक ने कहा, छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण तेजी से हो रहा है। ऐसा कह सकते हैं कि यह सरकार के संरक्षण में हो रहा है। सुकमा एसपी के पत्र में बाकायदा ऐसे गांवों का जिक्र है। यह उसकी मौन स्वीकृति है। अंबिकापुर के महामाया तालाब क्षेत्र में बाहर के लोग आकर बस रहे हैं और धर्मांतरण कर रहे हैं। बस्तर से लेकर सरगुजा तक जहां भी ऐसे लोग आए हुए हैं, उनके पहचान पत्र और अन्य दस्तावेजों की समुचित रूप से जांच होनी चाहिए। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनानी चाहिए।भाजपा के इन आरोपों के जवाब में राज्य कैबिनेट के प्रवक्ता और कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, मुझे लगता है कि प्रदेश में कहीं भी ऐसी परिस्थिति नहीं बनी है। कुछ घटनाओं की जानकारी के बाद सुकमा एसपी का पत्र सामने आया है। छत्तीसगढ़ में कहीं भी इस तरह की परिस्थिति का निर्माण नहीं हुआ है।
क्या है पूरा मामला ?
सुकमा के पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा ने 12 जुलाई को अपने SDOP और थाना प्रभारियों को लिखे पत्र में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों का उल्लेख किया था। उन्होंने लिखा, जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में स्थानीय आदिवासियों को बहला-फुसलाकर और ईसाई समुदाय में होने वाले लाभ का लालच देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके कारण भविष्य में स्थानीय आदिवासी और धर्मांतरित लोगों के बीच विवाद की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। एसपी ने अपने मातहत अधिकारियों ने मिशनरियों और धर्मांतरित लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने का निर्देश दिया है।
प्रदेश की वर्तमान सरकार इस मामले को भले खारिज करे पर वास्तविकता उसके उलट ही है।छत्तीसगढ़ में बड़े पैमामे पर धर्मांतरण का काम जोरो पर है।पश्चिम बंगाल से बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमान छत्तीसगढ़ आकर बस रहे है।शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी बसती जा रही है।जिन ग्रामीण क्षेत्रों में दो से चार मुसलमान परिवार रहता था आज इन गांवों में 30 से 40 मुसलमान परिवार बस गया है।प्रदेश में अचानक इनकी आबादी कैसे बढ रही है।इन सब मामलों पर प्रशासन व सरकार का अनभिज्ञ होना समझ से परे है।रेल्वे स्टेशनों के बाहर बड़ी संख्या में भी इन लोगो को देखा जा सकता है।शहर के हर चौराहे में बाहर से आकर यह लोग चाइना के खिलौने लेकर बेचते दिख जाएंगे।प्रदेश के किसी भी जिले में मुसाफिरों की जांच पड़ताल सही तरीके नही की जा रही है।प्रदेश में अचानक चोरियों के मामले भी बढ़ गए है।पुलिस प्रशासन को जागने की जरूरत है।
बाहर से बड़े पैमाने पर इन लोगो को बसाने में किसका हाँथ है यह सब जांच का विषय है।एक तरफ ईसाई करण किया जा रहा है वही दूसरी ओर रोहिंग्या व बांग्लादेशी मुसलमानो का बढ़ता ग्राफ सोचनीय विषय है।ऐसी ही स्थिति बनी रही तो वो दिन दूर नही जब पूरे प्रदेश में एक बड़ी आबादी ईसाई व बंगलादेशी मुसलमानों की हो जाएगी।शांत छत्तीसगढ़ अशांत बनने की राह पर है।सरकार जागे या न जागे जनता को जागना ही होगा।