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*बिलासपुर आरटीओ पुलिस की वसूली जोरो पर, गाड़ी मालिक से फोन-पे के माध्यम से ही वसूली की रकम अपने बैंक अकाउंट में करवाई जा रही है ट्रांसफर:*

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छत्तीसगढ़ पुलिस की बदहाल व्यवस्था को लेकर हर जगह चर्चा का माहौल बना हुआ है।अभी कुछ दिन पहले भी हमने पुलिस वालो के द्वारा ट्रांसपोर्टरों से की जा रही अवैध वसूली का समाचार लगाया था।पर अब तो ऐसा महसूस होने लगा है कि पुलिस विभाग ने तय कर लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाये हम तो अपनी दुकानदारी बंद नही करेंगे।अवैध वसूली को लेकर प्रदेश के डीजीपी डी एम अवस्थी अपने महकमे की बैठक में भी कई बार बोल भी चुके है। पर पुलिस विभाग के लोग अब अपने मुखिया की ही बात नही मान रहे है।

इस कार्य मे लगे पुलिस कर्मी आजकल आधुनिक सुविधाओं का भी भरपूर उपयोग कर रहे है।ट्रांसपोर्टर बाहर शहर का है तो भी पैसे लेने के लिए अब इंतजार करने की कोई समस्या नही रही।अब पुलिस वाले फोनपे का भी इस्तेमाल कर रहे है।अपने बैंक अकाउंट में ही पैसा ट्रांसफर करवा रहे है।बिलासपुर पुलिस का यह अंदाज चर्चा में बना हुआ है।यातायात में कार्यरत अरशद जुंजानी अपने बैंक खाते में गाड़ी मालिक से पैसे ट्रान्सफर करवाने के बाद गाड़ी को छोड़ देता है।

यातायात पुलिस कर्मी अरशद जुंजानी अपने बैंक अकाउंट में ही गाड़ी मालिक से पैसा ले रहा है।छत्तीसगढ़ उजाला के पास बैंक ट्रांजेक्शन की तीन डिटेल आई है जिसमे अलग अलग राशि अरशद जुंजानी के खाते में ट्रांसफर हुई है।पहले 6000 उसके बाद 3000 फिर तीसरी बार 1000 रुपये गाड़ी मालिक से लिये गए है।पुलिस कर्मियों के द्वारा बेख़ौफ़ होकर वसूली का काम किया जा रहा है।

इस मामले पर हमारे संवाददाता ने अरशद जुंजानी से इस गाड़ी को पकड़ने व पैसा लेने की बात की तो वह हक्का बक्का रह गया।साथ ही गोलमोल जवाब देने लगा।हमारे बात करने के कुछ घंटे बाद पुलिसकर्मी अरशद जुंजानी ने अपने बैंक अकाउंट से गाड़ी मालिक के बैंक अकाउंट में डर के मारे 10000 दस हजार रुपये वापस भेज दिए।

इस मामले पर गाड़ी मालिक श्याम गुप्ता व घनश्याम गुप्ता से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि मेरी गाड़ी को बिलासपुर बायपास में पुलिस वालों ने रोक दिया था।मुझसे 15000 मांगा जा रहा था।मैंने इतना पैसे देने को मना किया तब फिर उन लोगो ने 10000 देने को कहा।साथ ही अपने फोनपे अकाउंट में ट्रांसफर करने को कहा।पैसे देने के बाद ही मेरी गाड़ी को छोड़ दिया गया।इस मामले को लेकर मैंने आपके प्रेस में बताई।जिस पर आपके रिपोर्टर ने उन पुलिस वालों से बात की थी। आपके संवाददाता के बात करने के बाद मुझे जुंजानी साहब ने पैसे मेरे बैंक अकाउंट में वापस भेज दिए।

आप लोगो का बहुत बहुत धन्यवाद, कोरोना काल मे हमारा वैसे भी धंधा नही चल रहा है।उल्टा इन पुलिस वालों को भी पैसे देने पड़ते है।कच्चे समान के खराब हो जाने के डर से हमको पैसे देने ही पड़ते है।हमारी मजबूरी को कोई भी नही समझ सकता।आप जैसे पत्रकारो की आज हर जगह जरूरत है।आपके प्रेस की वजह से मेरा पैसा मुझे पुलिस वाले ने वापस भेज दिया।हमने तो कभी भी नही सुना था कि पुलिस कभी पैसे वापस भी करती है।आज हमने देख भी लिया।आपका और आपके प्रेस का मैं हृदय से धन्यवाद बोलता हूं।यह सारी बाते उस एक ट्रांसपोर्टर की है जिससे दो दिन पहले यातायात पुलिस वालों ने 10000 रु लिए थे।इस मामले कि जानकारी हमको हो गयी है इस डर के पुलिस कर्मी अरशद जुंजानी ने कुछ देर के बाद पैसे गाड़ी मालिक को फोनपे अकाउंट पर वापस भेज दिये।इस प्रकार की दुकानदारी कब बंद होगी।इस पर प्रदेश के डीजीपी को कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है।

इस मामले के साथ ही हमे किसी सज्जन ने एक ऑडियो भी भेजा है जिसमे हर महीने की व्यवस्था करने की बात की जा रही है।साथ ही बिलासपुर व मुंगेली जिले में पर्ची दिखाने पर कोई भी दिक्कत गाड़ी मालिक को नही होगी।यह भी बताया जा रहा है।यातायात पुलिस कर्मी एक ट्रांसपोर्टर के ऑफिस की भी चर्चा कर रहा है।कुल मिलाकर देखा जाए तो वसूली का काम पूरे जिले में जोरो पर है।

इस मामले पर बिलासपुर के नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक दीपक झा से जब बात की गई तो उनका कहना था कि आप पूरी जानकारी मुझे व्हाट्सएप करिये,अगर ऐसी बात है तो निश्चित ही दोषी पुलिसकर्मियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।