बिलासपुर। साल 2010 में बोगदा पुलिया थाना जामुल जिला दुर्ग में हुई नक्सली मुठभेड़ में पुलिस ने नक्सली नागेश डिवीजन कमांडर उत्तर बस्तर एवं उसकी पत्नी ताराबाई एरिया कमांडर को मार गिराया था। एनकाउंटर में शामिल पुलिस के बड़े अधिकारियों को राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस एनकाउंटर में शामिल कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल जिन्होंने साहस दिखाते हुए अपने वीरता का परिचय दिया। उन्हें किसी भी तरह का कोई भी इनाम नहीं मिला। इन पुलिसकर्मियों को दावा किया गया कि वह आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के हकदार हैं।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने दो कांस्टेबलों को उनका हक देने की बात कही है। मामला दुर्ग में एनकाउंटर का है, इस मुठभेड़ में अपनी जान में खेलकर इन्होंने नक्सलियों को मार गिराने वाली टीम को नियम के तहत आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिलना था। इस मुठभेड़ के बाद अफसरों को तवज्जो तो दी गई। मगर दो पुलिसकर्मी इससे अछूते रह गए थे। इस अनदेखी से दुखी होकर याचिकाकर्ता संदीप सिंह ने कुछ लोगों के साथ मिलकर उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ का दरवाजा खटखटाया। मंगलवार को कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने डीजीपी अवस्थी को निर्देशित किया है कि इस मामले में गंभीरता से नियमों के मुताबिक 30 दिनों के भीतर कारण बताते हुए स्पीकिंग आदेश पारित करें मामले का निराकरण कर सूचित करें।