छत्तीसगढ़ की न्यायधानी के पशु विभाग का मामला सामने आया है।सब्सिडी की राशि जारी करने के लिए हितग्राहियों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।आज की परिस्थितियों का सामना करना बड़ा कठिन है।लोन लेकर काम करने वालो को विभाग कैसे प्रताड़ित करते है।इसका एक मामला बिलासपुर में आया है।रायपुर से जारी एक पत्र ने पशु चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा दिया है।संयुक्त संचालक बिलासपुर कार्यालय से अकसर नदारद ही रहते है।इस मामले को लेकर विभाग का कोई भी अधिकारी जवाब देना ही नही चाह रहा है।मामला बिलासपुर के राज्य डेयरी उद्यमिता योजना के अंतर्गत श्रीमती रूपा अग्रवाल नामक महिला हितग्राही का है। वर्ष 2018 में डेयरी का संचालन ग्राम बुंदेला तहसील बिल्हा में रूपा अग्रवाल के द्वारा किया जा रहा था।
शासकीय योजना के अंतर्गत इस कार्य हेतु लोन लिया गया था इस डेयरी का संचालन श्रीमती रूपा अग्रवाल के द्वारा बिल्हा में किया जा रहा था जिस स्थान पर इस डेयरी का संचालन किया जा रहा था। वहां पर पानी की कमी के साथ और भी कई दिक्कतें आ रही थी इसके अलावा डेयरी संचालन के लिए बनाए गए शेड आंधी तूफान से गिर गए थे। जिस वजह से इस डेयरी का संचालन किसी और स्थान में करने की मजबूरी हितग्राही को हो गई थी।पशु विभाग से अनुमति लेकर ही इस डेयरी को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया गया। मवेशियों की मौतें इस क्षेत्र में हो रही थी।
हितग्राही के अनुसार बुंदेला में बड़ी संख्या में मवेशियों की मौतें भी हो गई थी।डेयरी को बिलासपुर स्थापित होते ही सब कुछ सुव्यवस्थित तरीके से चल रहा था।अचानक संयुक्त संचालक पशुधन विकास विभाग बिलासपुर कार्यालय में पदस्थ डॉ अर्चना अग्रवाल ने रूपा अग्रवाल की गोकुल नगर बिलासपुर डेयरी से दूध देना शुरू किया और जब दूध का बिल इनको भेजा गया तो बिल का भुगतान तो मैडम के द्वारा काफी दिनों के बाद कर दिया गया किंतु हमें जो अनुदान राशि मिलने वाली थी उस अनुदान राशि को रोक दिया गया।
अब इस मामले में विभाग के द्वारा हमें एक ऐसा कारण बताया गया जो अपने आप में समझ से परे है।अनुदान राशि नहीं मिलने की वजह विभाग के द्वारा यह बताई गई कि हमने बिल्हा से बिलासपुर में डेयरी को स्थानांतरित किया।जो कि हमारे नजर से नियम विरुद्ध है। अधिकारियों के इस रवैए से परेशान हितग्राही रूप अग्रवाल ने इस बात की शिकायत संचालनालय पशु चिकित्सा सेवाएं रायपुर से कर दी है। फिर क्या था संचनालय से आए पत्र से संयुक्त संचालक पशुधन विभाग बिलासपुर में हड़कंप मच गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आनन-फानन में हमको एक पत्र जारी किया गया।और डेयरी को स्थानांतरित किए जाने को नियम विरूद्ध बताकर नोटिस जारी किए जाने की तैयारी है। ताकि फ्री में दूध और अनुदान की राशि जारी करने के एवज में कमीशन मांगने की शिकायत जांच व कार्रवाई से बचा जा सके।हितग्राही रूपा अग्रवाल ग्राम बुंदेला विकासखंड एवं तहसील बिल्हा जिला बिलासपुर में विगत 4 वर्षों से संचालित कर रही है अचानक बिजली पानी की कमी एवं गायों के शेड टूट जाने की वजह से पशु चिकित्सालय विभाग में लिखित सूचना पश्चात अप्रैल 2020 में गोकुलधाम बिलासपुर में डेयरी शिफ्ट किए गया था।इसको अवैधानिक बता कर लंबित अनुदान राशि जारी नही करने की बात कही जा रही है।के बाद डॉ अर्चना के द्वारा कमीशन की मांग की गई, नहीं देने पर सब्सिडी को रिलीज नहीं होने देने की बात कही गई है।पशु विभाग रायपुर से निर्देश दिया गया है कि उक्त शिकायत का परीक्षण कर जांच करते हुए नस्ती करना सुनिश्चित करें।
शासन की महत्वपूर्ण योजना राज्य डेयरी उद्यमिता योजना का लाभ हितग्राहियों को मिले।इस पर अफसरों का ध्यान होना चाहिए।उक्त मामले की शिकायत से जरूर लगता है कि पशुधन विकास विभाग के अधिकारी जरूर इस योजना से ज्यादा लाभान्वित हो रहे होंगे।शासन को आज योजना से जुड़े हितग्राहियों को डेयरी संचालन में आ रही समस्याओं के निराकरण में तत्काल व्यवस्थित व उचित मार्गदर्शन देने की व्यवस्था करनी चाहिए।उन्हें योजना से लाभान्वित करें ना कि हितग्राहियों का का शोषण करे।वर्तमान सरकार सुशासन की बात तो बढ़ चढ़कर करती है पर धरातल में प्रदेश के अन्य विभागों की तरह पशु विभाग का खेल भी बड़ा अद्भुत व भ्रष्टाचार से परिपूर्ण नजर आ रहा है।प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस मामले पर ध्यान देने की आवश्यकता है।मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट गौपालन को बिलासपुर पशु विभाग के अफसर कैसे चौपट कर रहे है।यह इस मामले में साफ प्रतीत होता है।