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सायबर ठगों के किराए के खाते में अब पुलिस की सेंध

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रायपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। राजधानी रायपुर में नए-नए पैंतरे अजमा कर लोगों को झांसे में लेकर लाखों की ठगी करने वाले साइबर ठगों के गिरोह को पुलिस भी उनके ही तरीके से मात दे रही है। ठगे गए पैसों को किराए के बैंक खाते में ट्रांसफर कर रहे गिरोह को पिछले एक महीने में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। पुलिस ने ठगे गए साढ़े आठ लाख रुपये में से 5.66 लाख रुपये को खाता ब्लॉक करवा कर फ्रिज्ड कराया है। वहीं, 3.34 लाख रुपये ठगी के शिकर पीड़ितों को वापस भी लौटाए हैं।

साइबर ठगी के शिकार हुए लोग अब आसानी से अपनी मेहनत की कमाई वापस हासिल कर पा रहे हैं। दरअसल, एक अप्रैल को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है। साइबर ठगी का शिकार कोई भी व्यक्ति हेल्पलाइन नंबर 155260 पर इसकी सूचना दे सकता है। इसके बाद जांच एजेंसी ठगे गए पैसे को ढूंढकर वापस कराने का काम कर रही है। जिन किराए के बैंक खाते में ठग पैसा ट्रांसफर करते हैं, उन खातों को साइबर सेल की टीम बैंक की मदद से फ्रिज्ड कर देती है। इस तरह ठग गिरोह के खाते में अब पुलिस भी सेंध लगाने में सफल हो रही है।

ऐसे मिल रही मदद

साइबर ठगी की शिकायत मिलने के तत्काल बाद शिकायत नंबर के साथ विस्तृत जानकारी उस बैंक या वॉलेट के पास भेज दी जाती है, जिस बैंक में ठगी का पैसा गया होता है। बैंक के सिस्टम में यह जानकारी फ्लैश करने लगती है। यदि पैसे संबंधित बैंक या वॉलेट के पास ही हैं, तो वह उसे तत्काल फ्रीज कर देगा। यदि पैसा किसी और बैंक या वॉलेट में चला गया हो तो वह उसे संबंधित बैंक या वॉलेट को भेज देगा।

सफल साबित हुआ हेल्पलाइन नंबर

यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी, जब तक उस पैसे की पहचान कर उसे फ्रीज नहीं कर दिया जाता। वहीं, दूसरी ओर शिकायतकर्ता को एसएमएस से शिकायत दर्ज किए जाने की सूचना और इसका एक नंबर दिया जाएगा। साथ ही 24 घंटे के भीतर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर ठगी की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया जाएगा।

वर्जन-

साइबर ठगी के शिकार लोगों को उनकी रकम वापस कराने में यह हेल्पलाइन नंबर काफी सफल साबित हुआ है। खास बात यह है कि राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर होते हुए भी सभी राज्यों में जिला स्तर पर पुलिस ही इसका संचालन कर रही है। यदि किसी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन फायनेंशियल फ्रॉड होता है, तो वह इस पोर्टल में स्वयं घर बैठे सीधे तौर पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।

-अभिषेक माहेश्वरी, एडिशनल एसपी क्राइम-साइबर सेल