बिरगांव। रायपुर के औद्योगिक क्षेत्र बिरगांव, उरला, सिलतरा तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जन भर से अधिक कबाड़ की दुकानें चल रही हैं। औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख मार्गों पर ही अनेक दुकानों में बड़े स्तर पर कबाड़ का व्यवसाय चल रहा है।
इसके अलावा शहर के कई लोग फुटकर कबाड़ व्यवसायी के रूप में भी काम कर रहे हैं, जो औद्योगिक क्षेत्र तथा आसपास के ग्रामीण इलाकों से पुराने लोहे आदि इकट्ठा करके लाते हैं। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण सैकड़ों की तादाद में यहां भारी वाहन भी आते-जाते हैं तथा फैक्ट्रियों से माल लोड करने के लिए अपनी बारी के इंतजार में रात्रि विश्राम भी करते हैं।
कई बार गाड़ी के पार्ट्स अथवा अन्य सामान चोरी होने की चर्चा रही है कि आखिर यह सब सामान कहां जाता है? गत वर्ष भी भिलाई में रेलवे का लोहा चोरी का मामला सामने आया था, जिसमें कबाड़ियों की संलिप्तता भी सामने आई थी। इस घटना के बाद भी औद्योगिक क्षेत्र में कोई सबक नहीं लिया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक अधिकतर कबाड़ी बिना दस्तावेजों व बिना नाम ट्रांसफर के वाहनों को बेधड़क काट रहे हैं। कबाड़ के रूप में वाहन लेने के पहले कबाड़ी यह देखना भी उचित नहीं समझ रहे हैं कि वाहन चोरी का है या नंबर एक का वाहन है। औद्योगिक क्षेत्र में लगातार चोरी के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं।
बढ़ रहीं कबाड़ की दुकानें
औद्योगिक क्षेत्र में कबाड़ दुकानों में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। वहीं चोरी के विभिन्न मामले भी बढ़ गए हैं। चोरी का ज्यादातर माल आसानी से कबाड़ दुकानों में खपाया जाता है। लगभग हर छोटे-बड़े इलाके में गैरकानूनी तरीके से चल रही कबाड़ दुकानें विभिन्न अपराधों को पनपने का मौका दे रही है। वर्तमान में यह कबाड़ की दुकानें चोरों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। चोरी का ज्यादातर सामान इन दुकानों में बेचा जाता है। सच्चाई यह भी है कि जिस इलाके में कबाड़ की दुकानें हैं, वहां चोरी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
कार्रवाई जारी रहेगी
‘समय-समय पर सभी दुकानों की जांच की जाती है। अवैध सामग्री मिलने पर कार्रवाई की जाती है। आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।’
-अभिषेक माहेश्वरी, एएसपी क्राइम ब्रांच, रायपुर