वर्धा, दि. 20 जून 2021 : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से माधव राव सप्रे सार्द्ध शती के अवसर पर शनिवार 19 जून को ‘माधव राव सप्रे की राष्ट्र-चेतना’ विषय पर तरगांधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए
नवभारत टाइम्स, मुंबई के पूर्व संपादक
वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि माधवराव सप्रे ने लोकमान्य तिलक के मराठी में निकलने वाले केसरी समाचार पत्र को हिंदी केसरी के माध्यम से व्यापक फलक प्रदान किया और स्वाधीनता को लेकर तिलक के उग्र विचारों को हिंदी भाषी लोगों के बीच प्रचारित किया. वे नवजागरण के पुरोधा पत्रकार थे.
सचदेव जी ने हिंदी केसरी के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदी क्षेत्र में नवजागरण काम सप्रे जी ने किया और देश को आंदोलित करने में बड़ी भूमिका निभाई. सचदेव जी ने हिंदी पत्रकारिता में मराठी भाषियों के अवदान को अधोरेखित किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि माधवराव सप्रे भारतीयता के भाष्यकार और भारत बोध के पत्रकार थे. भलेही हिंदी केसरी की उम्र छोटी थी परंतु उसका प्रभाव व्यापक था. सप्रे जी ने मराठी से हिंदी में अनुवाद कर भाषा- सेतु के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया. प्रो. शुक्ल ने कहा कि सप्रे जी आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित एक नई सभ्यता निर्मित करने वाले अनन्यतम पत्रकार हैं.
मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि सप्रे जी ने अंग्रजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ अलग – अलग नामों से प्रभावी लेखन किया. वे तिलक के वैचारिक उत्तराधिकारी थे. उन्होंने तिलक के स्वदेशी आंदोलन को हिंदी क्षेत्र में फैलाया. सप्रे जी ने स्वाधीनता के समय नागपुर से हिंदी ग्रंथमाला प्रारंभ कर स्वराज की स्थापना के लिए संघर्ष किया.
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य तथा विषय प्रवर्तन मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. कृपाशंकर चौबे ने दिया. संगोष्ठी का संचालन जनसंचार विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. धरवेश कठेरिया ने किया तथा प्रो. अनिल कुमार राय ने धन्यवाद ज्ञापित किया. संगोष्ठी में जनसंचार एवं पत्रकारिता के अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की.