महासमुंद जेल में कुछ समय पूर्व जेल ब्रेक की घटना घटी थी।इस जेल ब्रेक में जेल से पांच विचाराधीन कैदी फरार हो गए थे।इस मामले से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था।प्रदेश की जेल से कैदियों के फरार होने की खबर से पुलिस मुख्यालय भी सकते में आ गया था।जिस राज्य में बड़े पैमाने पर नक्सलियों के खिलाफ आये दिन कार्यवाही होती हो।उस राज्य में ऐसी घटना का घटना अपने आप मे प्रदेश के जेल विभाग की पोल खोलती हुई दिखती है।प्रदेश का जेल विभाग वैसे भी अपनी लचर व्यवस्था के लिए भी जाना जाता है।
जेल प्रशासन के द्वारा आज तक इस जेल की अव्यवस्था दिखी नही,यह सोचनीय विषय है। कितने वर्षों से इस जेल ने परमानेंट नियुक्ति नही कर पाना।यह बात भी समझ से परे है।क्या प्रदेश के जेल विभाग में अफसरों की कमी है।ऐसा भी नही कहा जा सकता,सब खेल कही न कही सेटिंग व लेनदेन का ही है।प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री व गृहमंत्री को भी इन मामलों पर अपनी नजरे इनायत करने की आवश्यकता है।पर प्रदेश की सरकार का खेल क्या है,यह तो वो लोग ही जाने।
इस जेल ब्रेक की घटना के लिए दंडाधिकारी जांच की बात कही गयी थी।अब जिले के कलेक्टर ने जेल प्रशासन के महानिर्देशक को जांच शुरू करने के पहले एक पत्र जारी किया है।जिस पत्र में साफ साफ इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि जेलब्रेक के समय जो पदस्थ जेलर है उनको जांच होते तक अन्यत्र स्थान भेजा जाए।मतलब साफ है कि जेलब्रेक की घटना जिसकी पदस्थापना के समय हुई है।उसके रहते निष्पक्ष जांच कर पाना कठिन है।क्योंकि अगर जांच के समय जेलर रमाशंकर सिंह रहेंगे तो ये जांच को प्रभावित कर सकते है।महासमुंद जिला प्रशासन ने निष्पक्ष जांच के लिए जेल महानिर्देशक को पत्र भेजा है।
अब सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी घटना के घटने के बाद भी आज दिनांक तक जेल में पदस्थ जेलर के ऊपर कोई भी कार्यवाही क्यो नही हुई।जेलब्रेक होना कोई सामान्य घटना भी नही कही जा सकती।क्या इतने दिन तक प्रदेश के जेलमंत्री को यह घटना याद ही नही रही।क्या महासमुंद कलेक्टर के इस पत्र के बाद जेल डीजी जेलब्रेक की निष्पक्षता से जांच करवाने के लिए जेलर रमा शंकर सिंह को हटाने का आदेश जारी करेंगे?