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बस्तर की ‘नैना सिंह धाकड़’ ने एवरेस्ट की चोटी को फतहकर छत्तीसगढ़ का नाम किया रोशन

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जगदलपुर। बस्तर के एक छोटे से आदिवासी बहुल गांव एक्टागुड़ा की रहने वाली बेटी नैना सिंह धाकड़ ने अपने सपने को साकार कर दिया। नैना धाकड़ ने आसमां को छूती सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर पहुंचने में सफलता हासिल की है।छत्तीसगढ़ की इस बेटी ने अपनी लगन व मेहनत से अपने सपने को पूरा कर दिया।

हर पर्वतारोहियों की इच्छा होती है कि वह माउंट एवरेस्ट पर पहुंचकर अपने क्षेत्र और देश का नाम रोशन करें। इस सपनें को लेकर कई लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश भी करते हैं, पर उनमें सफलता कुछ को ही हासिल होती है। माउंटेन गर्ल के नाम पर बस्तर और प्रदेश में चर्चित नैना सिंह धाकड़ ने अपने नाम काे चरितार्थ करके यह धाकड़ काम कर दिखाया है।


28 वर्षीय नैना अप्रैल के प्रथम सप्ताह में मिशन माउंट एवरेस्ट के लिए यहां से रवाना हुई थी। नैना के माउंट एवरेस्ट फतह करने की खबर बुधवार रात बस्तर पहुंची। उनकी इस उपलब्धि की जानकारी भारतीय पर्वतारोही मिशन द्वारा टि्वटर से दी गई है। मिली जानकारी के अनुसार नैना माउंट एवरेस्ट के नेपाल स्थित दक्षिणी बेस कैंप पहुंच चुकी हैं। एवरेस्ट पर पहुंचने वाली वह छत्तीसगढ़ की पहली महिला पर्वतारोही हैं। इसके साथ ही उन्होंने माउंट लोत्से (8516 मीटर) को भी फतह किया है।

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उनकी यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के साथ बस्तर के लिए गर्व का विषय है। नैना का चयन इस साल माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाले भारतीय पर्वतारोहियों के दल में किया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नैना सिंह धाकड़ द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने पर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री बघेल ने नैना के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा है कि नैना ने अपने दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर विजय प्राप्त कर अपनी इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ को गौरवांवित किया है।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, बस्तर विधायक एवं बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, संसदीय सचिव रेखचंद जैन आदि अनेक जनप्रतिनिधियों के अलावा कलेक्टर रजत बंसल, पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा आदि ने भी नैना सिंह धाकड़ को बधाई दी है। बस्तर के लिए इसे स्वर्णिम उपलब्धि बताया गया है। मिशन माउंट एवरेस्ट पर रवाना होने से पहले 31 मार्च को नैना सिंह धाकड़ ने अपनी जिंदगी और भविष्य के सपनों को लेकर बताया था कि पिता का निधन हुआ तब वह काफी छोटी थी।मां ने कठिन समय में पेंशन की राशि से तीनों भाई बहनों की परवरिश की। मेहनत मजदूरी करके परिवार का खर्च चलता था। गांव में एक भाई चाय की दुकान चलाता है और दूसरे भाई की किराना की छोटी दुकान है। उसे पर्वतारोहण में रूचि है और वह इस क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचने की अभिलाषा लेकर मिशन में लगी रहती है। नैना के अनुसार स्कूली शिक्षा के दौरान उसे 2009 में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना कैंप के द्वारा पर्वतारोहण की जानकारी मिली। 

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इसके बाद वह इस क्षेत्र में रूचि लेने लगी। 2010 में राष्ट्रीय स्तर के कैंप हिमाचल प्रदेश में हिमालय के समीप ही एडवेंचर एक्टिविटी के लिए लगाया गया था। जिसमें वह भी शामिल हुई थी। वहीं से एक दिशा मिली और वह अभियान में जुटी रही। 2011 में टाटा स्टील के द्वारा भारत की पहली महिला एवरेस्ट फतह हासिल मिस बछेंद्री पाल के साथ स्नो मैन ट्रैक भूटान में उसे भी शामिल होने का मौका मिला। देश भर से केवल 12 लोगाें का ही चयन हुआ था। नैना उसी दिन से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने की इच्छा मन में संजोए हुए थी।