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मृतक युवक को पुलिस ने पहले बताया था संदेही मौत के बाद अब बना दिया आरोपित, विवादित कार्य प्रणाली से सवालों के घेरे में आई तोरवा पुलिस

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बिलासपुर : तोरवा क्षेत्र में चोरी के संदेही युवक की संदिग्ध हालत मेें मौत होने के बाद तोरवा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगा है। पुलिस ने उसके फरार होने पर संदेही बताया था और आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं होने की बात कही थी। लेकिन, उसकी लाश मिलने के बाद पुलिस ने सुनियोजित तरीके से एक दिन पहले आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उसे फरार आरोपित बना दिया। दरअसल, पुलिस अब न्यायिक जांच में अपनी खामियां छिपाने लीपापोती कर रही है।

बेटे की लाश मिलने के बाद स्वजनों ने पुलिस पर बेरहमी से पिटाई व हत्या के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मामले में पुलिस पर लग रहे आरोपों को देखते हुए एसपी प्रशांत अग्रवाल ने न्यायिक जांच कराने के लिए तत्काल प्रतिवेदन भेज दिया। इसके साथ ही जेएमएफसी व कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में मामले की जांच शुरू हो गई है। उन्होंने शव का पंचनामा करवाया और फिर तीन डाक्टरों की टीम से पोस्टमार्टम कराने के निर्देश दिए।

जांच के दौरान मजिस्ट्रेट ने मृतक की मां संगीता मरकाम सहित अन्य स्वजनों का बयान दर्ज किया है। संगीता ने कहा कि बेटा सनी को पुलिस मोबाइल चोरी के आरोप में पकड़कर ले गई थी। इस दौरान अपराध स्वीकार करने के लिए उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। इसी दौरान पुलिस की पिटाई के डर से भाग गया। इसके बाद पुलिस मोहल्ले मंे लगातार उसकी खोजबीन कर रही थी।

इस बहाने किसी भी घर में कोई भी मकान में घूसकर डराया-धमकाया जा रहा था। सनी को पुलिस ने इतना डरा दिया था कि वह तीन दिन से भूखे प्यासे भटक रहा था और घर नहीं आ रहा था। पुलिस अब उसकी मौत को आत्महत्या का रूप दे रही है। लेकिन उसने आत्महत्या नहीं की है। उसकी हत्या की गई है और मारकर फेंका गया है। मुझे अपने बेटे की मौत की न्याय चाहिए।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा मौत का राज

चोरी के संदेही की लाश मिलने के बाद पुलिस अफसरों में भी हड़कंप मच गया है। एडिशनल एसपी उमेश कश्यप ने कहा कि इस मामले की न्यायिक जांच कराई जा रही है। तीन डाक्टरों की टीम से शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों का पता चल सकेगा। युवक ने आत्महत्या की है या फिर उसकी हत्या हुई है। इन सभी तथ्यों का राज पीएम रिपोर्ट से ही खुलेगा।

इस तरह से लीपापोती करने में जुटी पुलिस

चोरी के संदेही सनी की लाश मिलने के बाद तोरवा पुलिस इसलिए निशाने पर आ गई है। क्योंकि दो दिन पहले जब वह हथकड़ी समेत भागा था। तब पुलिसकर्मियों के बचाव में उसे संदेही बता दिया गया। तब पुलिस ने स्वीकार किया था कि उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं हुआ था। ऐसे में सवाल उठता है कि संदेही युवक को पुलिस हथकड़ी लगाकर कैसे ले गई। आरोप है कि पुलिस इस मामले को दबाने का प्रयास करती रही।

इधर, शनिवार की सुबह उसकी लाश मिलने के बाद पुलिस ने आनन-फानन में उसके खिलाफ रिकार्ड तैयार कर लिया गया। यहां तक हवलदार निर्मल घोष के आवेदन पर एक दिन पहले की तारीख में सनी को आरोपित बताकर धारा 224 के तहत आपराधिक प्रकरण भी दर्ज कर लिया गया। कल तक जिसे पुलिस संदेही मान रही थी वह अचानक सुनियोजित तरीके से रिकार्ड में आरोपित बन गया। दरअसल, पुलिस ने यह सब न्यायिक जांच अधिकारी के सामने अपना पक्ष मजबूत करने के लिए किया है।