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दोबारा दाखिल याचिका पर नोटिस के बाद हरकत में आया प्रशासन, हाईकोर्ट के आदेश पर 7 साल बाद हुआ धान खरीदी का भुगतान

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बिलासपुर : सकरी क्षेत्र के दर्जन भर किसानों को हाई कोर्ट के आदेश के सात साल बाद धान खरीदी की राशि का भुगतान किया गया है। दरअसल, कोर्ट के आदेश के बाद भी भुगतान नहीं करने पर पीड़ित ग्रामीणों ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। इस मामले में हाई कोर्ट के दोबारा संज्ञान लेने के बाद प्रशासन हरकत में आया और सुनवाई शुरू होने के पहले ही पीड़ित किसानों को राशि का भुगतान कर दिया।

रामअवतार कोरी, सोनसाय साहू, रामबाई सूर्यवंशी समेत दो सौ अन्य किसानों ने सकरी स्थित सेवा सहकारी समिति में साल 2013-14 में धान का विक्रय किया था। उक्त किसानों का धान बहतराई स्थित केंद्र के माध्यम से खरीदी की गई थी। धान की खरीदी करने के बाद सहकारी समिति द्वारा किसानों को आंशिक राशि का भुगतान किया गया। जबकि शेष राशि का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। इस संबंध में पहले उन्होंने संबंधित अधिकारियों से की शिकायत की। लेकिन भुगतान संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

आखिरकार परेशान होकर इन किसानों ने हाई कोर्ट की शरण ली और वर्ष 2014 में ही उन्होंने अधिवक्ता लवकुश साहू के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें किसानों ने अपने खेत के दस्तावेजों के साथ ही धान बेचने संबंधी कागजात प्रस्तुत किए और राशि भुगतान कराने की मांग की। 12 दिसंबर 2014 को जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने बिलासपुर कलेक्टर निर्देशित किया कि किसानों के अभ्यावेदन प्रस्तुत करने पर वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराई जाए। साथ ही राशि भुगतान योग्य पाए जाने पर तत्काल भुगतान करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आदेश के बाद किसानों ने दोबारा अभ्यावेदन प्रस्तुत किया।

इस पर कलेक्टर ने भी पीड़ित किसानों के भुगतान के निर्देश संबंधित अधिकारी को दिए। लेकिन इस आदेश के बाद भी किसानों को राशि का भुगतान नहीं किया गया। हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर किसानों ने फिर से अधिवक्ता लवकुश साहू के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें बताया है कि रामअवतार कोरी का 77,634 रुपये, सोनसाय का 84,228 रुपये, रामबाई का 88,241 रुपये व अन्य किसानों के भी 50 हजार रुपये से एक लाख स्र्पये तक भुगतान बकाया है।

मामले में हाई कोर्ट ने दोबारा सुनवाई शुरू की और कलेक्टर सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट के मामले को संज्ञान में लेते हुए एसडीएम सहित अन्य अधिकारी हरकत में आ गए। उनके निर्देश पर दर्जन भर पीड़ित किसानों को उनकी बकाया राशि का भुगतान कर दिया गया है। लिहाजा, हाई कोर्ट ने इस प्रकरण को निराकृत कर दिया है।