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भूपेश सरकार ने शिक्षित युवाओं को मनरेगा में मजदूरी करने को किया मजबूर – डॉ. रमन सिंह

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थोथा प्रचार करने के बजाए प्रयास करते, तो छत्तीसगढ़ का युवा ना तो बेरोजगार होता और ना ही योजनाएं दम तोड़ती

रायपुर। छत्तीसगढ़ में युवाओं के मध्य बढ़ती बेरोजगारी और नवीन योजनाओं के दम तोड़ते हाल, छत्तीसगढ़ सरकार की एक नवीन पहचान बन गई है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ सरकार की तथाकथित बेरोजगारी दर में कमी आने के प्रचार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ का युवा आज मनरेगा में मजदूरी का कार्य करने को विवश है, और ये सरकार बेरोजगारी दर में कमी का स्वांग रच रही है, जो छत्तीसगढ़ के युवाओं के आत्मसम्मान पर चोट है, ये अलग बात है कि मनरेगा में मजदूरी करने को बाध्य युवाओं को रोजगार दिया मान कर वह आत्ममुगधता का शिकार हो सकती है किंतु यह सत्य से कोसों दूर है और सत्य यह है कि आज का युवा छत्तीसगढ़ में गोबर बीनने को मजबूर है और शराब के दुकानों में शराब बेचने को विवश है। यह नौकरी नही युवाओं की मजबूरी है, अन्यथा शराब दुकान खोलने के बजाय हजारों हजार युवा जिन्होंने सब इंस्पेक्टर, सूबेदार, और प्लाटून कमांडर भर्ती के विज्ञापन भरने के बाद भी 2 वर्षो से उस परीक्षा के आयोजन की बाट जोह रहे है, इसी तरह शिक्षक भर्ती परीक्षा के उत्तीर्ण छात्र अपनी नियुक्ति की राह तकते तकते मजबूरी में मनरेगा में काम कर रहे है, यदि इसे ही यह सरकार अपनी उपलब्धि मानती है, तो सरकार की नीयत और नीति पर अफसोस ही किया जा सकता है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ सिंह ने सरकार की रोज बनती और बिगड़ती योजनाओं पर कहा कि यह सरकार सुबह योजना तो बनाती है किंतु अगले दिन की संध्या के समापन होने के पूर्व ही दम तोड़ते नजर आने लगती है, गोठान में जानवर नही है, ज्यादातर गौठानों में ताला लगा हुआ है। महिलाएं अपने पारिश्रमिक के इंतजार में बैठी है, किन्तु वेतन देने के लिए इस सरकार के पास पैसे नहीं है।

श्री सिंह ने कहा सच्चाई यही है कि यह सरकार प्रचार की भूखी है, प्रयास करने में विश्वास नही है, यदि प्रयास करने की कोशिश करती तो छत्तीसगढ़ के युवा ना तो मनरेगा में कार्य करने को बाध्य होते और ना ही शराब दुकानों की चैखट पर नौकरी करने चढ़ते।