Home छत्तीसगढ़ भूपेश सरकार में नौकरशाह हुए मदमस्त:: क्या प्रदेश के कलेक्टर की इस...

भूपेश सरकार में नौकरशाह हुए मदमस्त:: क्या प्रदेश के कलेक्टर की इस गलती को माफ किया जा सकता है???

0

भूपेश सरकार में नौकरशाह हुए मदमस्त:: प्रदेश के क्या एक कलेक्टर की इस गलती को माफ किया जा सकता है:

सूरजपुर कलेक्टर रणवीर शर्मा बीच सड़क में एक लड़के को थप्पड़ मारने के बाद पुलिसकर्मियों से डंडा मरवाने का आदेश दे रहे है।

क्या प्रदेश के नौकरशाह के सामने मुख्यमंत्री असहाय व कमजोर साबित हो गए?

सूरजपुर कलेक्टर के एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक लड़के को कलेक्टर थप्पड़ मारते हुए दिख रहे है।कोरोना की विपदा से लड़ने के बजाय जिले के कलेक्टर एक लड़के को मारकर क्या साबित करना चाह रहे थे।यह तो हर कोई समझ सकता है।प्रदेश में अब जनता के साथ क्या यही होना बाकी था।अब लोगो को अफसरों के द्वारा जबरन पीटा जाएगा।जिस प्रदेश में जनता के सेवक ही जब जनता को पीटना शुरू कर दे तब तो उस राज्य का बंटाधार होना लगभग सुनिश्चित ही है।क्या प्रदेश की सरकार नौकरशाही के सामने कमजोर व असहाय सी हो गयी है।जनमानस के लिए कोरोना के उपाय व व्यवस्था कर पाने में प्रदेश की भूपेश सरकार पूरी तरह से फेल हो ही चुकी है।अब प्रदेश के नौकरशाह अपनी मदमस्ती में नजर आ रहे है।कलेक्टरी की कुर्सी में इतनी गर्मी होती है कि आम जनता को जबरन पीटने से भी ये अफसर बाज नही आते है।सामाजिक न्याय की जवाबदारी जिन अफसरों के ऊपर होती है आज वही आम लोगो को थप्पड़ मारने में आ चुके है।ऐसी स्थिति तब जन्म लेती है जब प्रदेश का मुखिया आंख मूंदकर सत्ता के नशे में चूर हो जाता है।इसे ही अन्धेर नगरी चौपट राजा कहते है।

प्रदेश में कोरोना से जनता का हाल बेहाल हो चुका है।लोगो को सही इलाज तक नही मिल पा रहा है,इस कोरोना काल मे बड़े पैमानों पर लोगो की मौते हुई है।आज लोगो के पास जीने के लिए पर्याप्त साधन तक उपलब्ध नही है।सरकार की ऐसी लाचारी अपने आप मे समझ से परे लगती है।प्रदेश की कांग्रेसनीत सरकार पर कही न कही नौकरशाह ज्यादा शक्तिशाली प्रतीत होते है।प्रदेश के अन्य जिलों में भी बहुत से किस्से है।सूरजपुर की घटना से आज जनता का कलेक्टर जैसे ससम्मानित पद पर भरोसा टूट गया। जिले की जनता कलेक्टर से बहुत ज्यादा अपेक्षा व आशा रखती है।इस घटना के बाद क्या इस कलेक्टर के ऊपर प्रदेश के मुख्यमंत्री किसी ठोस कार्यवाही को करेंगे।इस घटना से आज प्रदेश की बदहाल व्यवस्था तो उजागर हो ही गयी।क्या कलेक्टर के इस व्यवहार के पीछे प्रदेश की सरकार का कमजोर स्वरूप जनमानस को दिख गया?

प्रदेश में एक तरफ कलेक्टर एक लड़के को पीट रहे है वही दूसरी ओर कोरबा कलेक्टर किरण कौशल का भी एक कारनामा प्रकाश में आया था।इस जिले की कलेक्टर ने अपने जिले में हो रही वेक्सिनेशन को भी धार्मिक रंग दे दिया।कोरबा जिले में कोरोना की वजह से हालात बहुत अच्छे भी नही है।कोरोना के बचाव को लेकर कोरबा जिला पूरी तरह से असफल ही दिख रहा था।समुचित रूप से कार्य करने के बजाय शुक्रवार के दिन का चयन करके मस्जिदों के पास एक विशेष लोगो के लिए टीकाकरण का अभियान शुरू किया गया।क्या एक कलेक्टर को संविधान में लिखी बातों का भी ज्ञान नही है।लोगो को धार्मिक रूप से बांटकर कोरबा कलेक्टर क्या साबित करने की मंशा रखती है।यह सारे कार्य प्रदेश की भुपेश सरकार के राज में हो रहे है।छत्तीसगढ़ की भोली भाली जनता के साथ क्या ऐसा व्यवहार करना उचित है।सरकार को अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाने की आवश्यकता है।भूपेश बघेल इस सूबे के मुख्यमंत्री है इनको अपने सरकार के गिरते ग्राफ को बचाने की आवश्यकता है।कही ये नौकरशाही इस सरकार को अगले चुनाव में निपटा न दे।