प्रदेश की भूपेश सरकार की गलत नीतियों को लेकर हमेशा अमित जोगी आगे रहते है।सत्ताधारी दल को जगाने की बात अमित जोगी पूरी दमदारी से करते है।आज फिर उन्होंने अपने गृह जिला जीपीएम की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर उठायी है।कोरोना जैसी महामारी में छत्तीसगढ़ के इस नव जिले जीपीएम की हालत बहुत ज्यादा खराब है।सत्ता में बैठे लोगों को इस जिले की ओर भी देखने की आवश्यकता है।आज देश के बड़े अखबार ने इस जिले की बदहाली की खबर प्रकाशित की है।क्या सरकार अब भी सोते रहेगी।या फिर इस जिले की बदहाल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कुछ करने की पहल करेगी।
GPM ज़िला की लचर स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में आज देश के प्रमुख अख़बार इंडीयन इक्स्प्रेस ने अपने प्रथम पृष्ट में चौंकाने वाले 9 खुलासे किए हैं-
- विधान सभा उपचुनाव में बरती लापरवाही के कारण जिले का केसलोड 47 से 9916 हो चुका है।
- 3,36,000 जनसंख्या के जिले में उपचार के लिए मात्र 82 (NIV) ऑक्सिजन रहित बेड है।
- काग़ज़ों में 2 वेंटिलेटर बेड हैं लेकिन दोनों चालू हालत में नहीं है।
- 150 ऑक्सिजन सिलेंडर की आवश्यकता के विरुद्ध 50 ही उपलब्ध हैं।
- पूरे जिले में RTPCR टेस्टिंग का एक भी केंद्र नहीं है।
- जिला स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी (CHMO) का पद भी रिक्त है।
- 42 विशेषज्ञ डॉक्टर पदों के विरुद्ध मात्र 6 विशेषज्ञ डॉक्टर काम कर रहे हैं।
- 129 नर्सिंग-स्टाफ़ पदों के विरुद्ध 74 नर्स काम कर रहे हैं।
- जिले के 85% लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों को कोरबा और बिलासपुर जिला अस्पताल रेफ़र किया जा रहा है।
साथ ही अमित जोगी का कहना है कि आज अगर मेरे पिता स्वर्गीय श्री अजीत जोगी जीवित होते तो वे निश्चित तौर पर बहुत व्यथित होते और वर्तमान सरकार को जिले की इस दुर्दशा के लिए कभी माफ़ नहीं कर पाते ।