देश के सभी राज्य केंद्र सरकार की बनाई नीतियों के साथ अपने राज्य की जनता को बचाने के लिए जद्दोजहद में लगी हुई है।वही छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार हर समय की तरह इस समय मे भी अपनी राजनीति को चमकाने में लगी हुई है।आज कोरोना के बढ़ते मामले से छत्तीसगढ़ की जनता त्राहिमाम कर रही है।प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगो की मौते हो रही है।इस संक्रमण से बचाने के लिए केंद्र सरकार वेक्सिनेशन करवाने की बात कर रही है।वही इस प्रदेश की भूपेश सरकार वेक्सिनेशन में भी नए नियम बनाकर कौन सा फार्मूला तैयार कर रही है।
आज हर व्यक्ति को संक्रमित होने से बचाना है।सरकार के लिए हर व्यक्ति की जान की कीमत होनी चाहिये।पर छत्तीसगढ़ की मदमस्त सरकार आर्थिक नियमावली बनाकर इसमे भी अपनी राजनीति करने का काम कर रही है।क्या सत्ता में बैठी इस सरकार को संविधान में नागरिकों को मिले अधिकारो की भी जानकारी नही है या फिर प्रदेश की सरकार अपने घमंड पर सत्ता चलाने की बात को ठान चुकी है।
ऐसा लग रहा हैं मानो छत्तीसगढ़ में कोरोना भी आरक्षण की मांग कर रहा हैं एवं अपनी सुविधाओं में वृद्धि की मांग कर रहा हैं और उन मांगों को पूरा करने में राज्य सरकार के पुरजोर प्रयास जारी हैं ; आपको यकीन नहीं हो रहा होगा पर सत्य यही हैं ,
1). सूत्रों के हवाले से खबर मिली हैं कि कोरोना अब गरीबी अमीरी देखकर आने लगा हैं, एपीएल एवं बीपीएल, अंत्योदय आदि ।
2).कोरोना आईपीएल जैसे आयोजनों में मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में केवल नहीं आता हैं,यदि विशिष्ट मेहमान असम आदि प्रदेशों के हों तो किसी कीमत पर नहीं आता हैं।
3). लॉकडाउन यदि केंद्र द्वारा लगाया गया हो तो अर्थव्यवस्था चरमरा जाती हैं ,वही ये राज्य की दिशाहीन अकर्मण्यता छुपाने ,ढीलढाल के साथ लगाया जाए तो अधिक प्रभावशाली होता हैं ,जैसे वर्तमान समय में प्रभावी हैं।
4).उत्तरप्रदेश में किसी को (किसी की राजनीति को) जीवित रखने यहां से ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाता हैं परंतु यहां वैक्सीन हो चाहे बेड के लिए मारामारी देखने मिलती हैं।
5). इस प्रकार की वैक्सीनेशन व्यवस्था पूरे विश्व में पहली व्यवस्था होगी जहां आर्थिक आधार एवं जातिगत समीकरणों को देखकर की गयी हो ,धिक्कार हैं इस सरकार पर जो खुलेआम अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती हैं ,संविधान में भी अनु.14 में “नागरिक” शब्द का उपयोग न करके “व्यक्ति” शब्द का प्रयोग किया हैं क्योंकि विधि के समक्ष सभी सामान हैं चाहे वो भारतीय हो अथवा न हो ; जब हम व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की भी चिंता करते आएं हैं ; जब आज विश्व और हमारा प्रदेश इसकी चपेट में हैं तो हम कैसे किसी व्यक्ति को उसके मूल अधिकारों से वंचित कर सकते हैं या कर रहे हैं…???