प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलो के बीच मे क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन समझ से परे:क्या प्रदेश की सरकार के लिए इस क्रिकेट टूर्नामेंट से ज्यादा महत्वपूर्ण और कुछ भी नही?
देश मे एक तरफ़ कोरोना का बढ़ता दायरा और छत्तीसगढ़ की राजधानी में रोड सेफ्टी क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन समझ से परे लगता है।छत्तीसगढ़ से लगे राज्यो में सरकार लॉक डाउन लगाकर अपने राज्यो में कोरोना को रोकने के प्रयास में लगी हुई है। वर्तमान में देश के कई राज्य दोबारा कोरोना की चपेट में आ चुके है।छत्तीसगढ़ की राजधानी में भी रोज कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है। नए रायपुर अटल नगर के शहीद वीर नारायण क्रिकेट स्टेडियम में रविवार को फाइनल मैच होने वाला है।प्रदेश की भुपेश सरकार इस विकट स्थिति में भी प्रदेश के बाहर असम के चुनावी समर में व्यस्त है।जिस प्रदेश की सरकार विपदा काल की घड़ी में अपनी जनता की फिक्र करने के बजाय अपने स्वहित पर व्यस्त हो उस प्रदेश की जनता का क्या हाल होगा।इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
एक तरफ 22 फरवरी से नवा रायपुर स्थित माय फेयर रिसार्ट को बायो-बबल घोषित कर दिया गया है, प्रशासन ने जिसकी तैयारी भी कर ली थी ।क्योकि इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले खिलाड़ी इसी होटल में रुके हुए है।जिला प्रशासन और राज्य सरकार क्या इस विपदा (कोरोना) काल में राज्य की जनता को बचाने का प्रयास कर पाएंगे?सरकार जनता से दूरी (सोशल डिस्टेन्स) बनाकर रखने की बात तो करते आ रही है।ज्यादा भीड़ एक जगह एकत्रित न हो इसका ढिंढोरा पिट रही है।कोरोना काल मे हर दिन नए नियम बनाये जा रहे है।पूरे प्रदेश में लोगो को अब ऐसा लग रहा है कि फिर से लॉक डाउन लग सकता है।हर दिन कोरोना संक्रमित लोगो के मामले सामने आ रहे है।बिना मास्क के घूमने वालो पर फाइन लगाने के कार्य हर जगह प्रशासन के द्वारा किये जा रहे है।अब सरकार अपने ही बनाये नियमो की धज्जियां इस क्रिकेट टूर्नामेंट में उड़ाती दिख रही है।क्या क्रिकेट स्टेडियम में मैच देखने वालों की कोरोना जांच की जाएगी?क्या सभी लोग मास्क लगाकर डिस्टेंस का पालन करेंगे?इस मैच के बाद अगर कोरोना का मामला बढ़ता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
क्या कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच मे इस क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजन का होना बहुत जरूरी था।सरकार और अफसरों को क्या इस विपदा काल की जानकारी नही है।एक तरफ देश के कई राज्य सरकारें नाइट कर्फ्यू और लॉक डाउन लगाने के काम मे लगी हुई है।वही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ असम के चुनाव में लगे हुए है।कुल मिलाकर यह बात तो तय ही है कि प्रदेश की इस सरकार को जनता से कोई मतलब ही नही है।प्रदेश में इस महामारी को बढ़ने से रोकने के उपाय करने थे जो कि यह सरकार करने के मूड में ही नही है।या फिर करना ही नही चाहती है।अगर सरकार ऐसे समय मे इस आयोजन को रोकने का कार्य करती तो बहुत ज्यादा अच्छा होता।प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इस प्रकार के आयोजन को करने से पहले मनन करने की आवश्यकता है।
जनता को इस प्रकार के आयोजन से दूर रहना ज्यादा हितकर साबित होगा। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना काल मे क्या कार्य अब तक किया है इसका आभास प्रदेश की जनता को पहले से ही पता है।क्या ऐसे समय मे इस प्रकार के आयोजन को रोकने की बात होनी चाहिये थी।पर ऐसे समय पर सरकार की लचर व्यवस्था उजागर हो रही है। रोड सेफ़्टी के नाम से आयोजित इस क्रिकेट टूर्नामेंट से लोगो की जान क्या बच जाएगी? ऐसे बहुत से सवाल है जिनका जवाब प्रदेश की सरकार के पास शायद नही होगा।या फिर भूपेश बघेल को प्रदेश की जनता से कोई सरोकार ही नही है।
राजधानी में हर दिन कोरोना की जांच में बहुत से लोग कोरोना पॉजिटिव आ रहे है।जब प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ रहे है उस समय मे इस प्रकार का आयोजन होना सरासर गलत है।छत्तीसगढ़ के इस क्रिकेट टूर्नामेंट में प्रदेश के लोगो के अलावा आसपास के कई राज्यों से लोगो का आना तय ही है।क्या राज्य की सरकार इन सब बातो से अनभिज्ञ है।या फिर सरकार जनता को मरनें के लिए ही छोड़ चुकी है।
अगर इस आयोजन के बाद प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ गये तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।ऐसे विपदा काल मे सरकार को घेरने के बजाय विपक्ष कही लापता हो गया है।क्या सत्ता से बाहर जाने के बाद भी भाजपा के नेता आज भी गहरी नींद में मदमस्त है।
प्रदेश की जनता की फिक्र अगर सत्ता में काबिज सरकार को नही है तो इस सरकार को जगाने और सही रास्ते मे लाने का कार्य विपक्ष का ही है।पर विपक्ष में बैठी भाजपा शायद अपना मूल कर्तव्य भी भूल बैठी है। अब ऐसा प्रतीत होता है कि जनता कोरोना काल मे स्वयं अपने आपको बचाने के लिए तैयार रहे।क्योकि प्रदेश की सरकार और विपक्ष को जनता से कोई भी सरोकार नही है।