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छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन अपने बनाये नियमो को कर रहा है दरकिनार, नई टीम में आज भी काबिज है पुराने चेहरे:

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छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन में आज भी ज्यादातर पुराने लोगो को ही रखना समझ से परे:

छत्तीसगढ़ में भाजपा की तीन पारी बहुत ही शानदार रही,तीन मर्तबा की सत्ता में रहने के बाद चौथे विधानसभा में भाजपा का यह हाल होगा इसका अंदाजा केंद्रीय नेतृत्व को भी न रहा होगा।छत्तीसगढ़ के साथ ही झारखंड से भी भाजपा का सफाया हो गया था।केंद्रीय नेतृत्व को इन छोटे राज्यों के बारे में मनन करने की आवश्यकता भी दिखने लगी थी।इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के संगठन को ठीक करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने बहुत कुछ बदलाव भी किया।सौदान सिंह की छुट्टी छत्तीसगढ़ से कर दी गयी,तत्काल डी पुरंदेश्वरी को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाकर भेजा गया।डी पुरंदेश्वरी के आने के बाद ही प्रदेश के भाजपा विधायक जाग गए।

भाजपा की प्रदेश प्रभारी बनकर आते ही डी पुरंदेश्वरी ने आम से खास सभी लोगो से मिलना शुरू कर दिया।इससे प्रदेश के कार्यकर्ताओं को यह तो जरूर लगा था कि अब बहुत कुछ बदला जायेगा।पार्टी के जिन लोगो को यह उम्मीद थी अब बहुत कुछ बदलाव होगा।पर भाजपा कार्यकर्ताओं को यहाँ भी मायूसी अभी से दिखने लगी।भाजपा अपने संगठन को मजबूत बनाने की तैयारी में लगा हुआ है।ऐसा दिखाने का खेल तो दिखता है पर धरातल में कहानी कुछ और ही है।तीन मर्तबा सत्ता चलाने वाले चौथे चुनाव में हारने के बाद भी अपने आसपास के पुराने चेहरों को फिर संगठन में तवज्जो देकर आगामी चुनाव जीतने का सुनहरा सपना देखने मे लग गए है।

पुराने चेहरों की हो रही है नियुक्तियां

हाल में प्रदेश भाजपा संगठन में हुई समस्त नियुक्तियां भाजपा के प्रादेशिक से स्थानीय राजनीति की गुटबाजी को चरितार्थ करती हुई साबित होती हैं, जिसमें हाल में आईटी सेल और सोशल मीडिया में हुई नियुक्तियां भी हैं ; जिसमें ऐसे लोगों को भी स्थान प्राप्त हुआ जिन्होंने अपने वार्ड अथवा मंडल में भी अपने आप को स्थान दिला पाने में सक्षम नहीं हुए ,जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक शर्त को ही पूर्ण न कर सके मतलब सक्रिय सदस्य होने की प्राथमिक शर्त को भी पूरी नहीं कर सके।कुछ पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा की सोच भी कांग्रेसियो की तरह हो चुकी है।पार्टी में ऐसे लोगों को भी प्रदेश स्तरीय दायित्व सिर्फ और सिर्फ चंद लोगों की सिफारिश और चाटुकारिता के दम पर प्राप्त हुए हैं । ज्ञात होगा संगठन में शीर्ष नेतृत्व की तरफ से यह प्राथमिक शर्त दी गयी थी कि जिसे भी मंडल जिले अथवा प्रदेश में कहीं भी दायित्व प्राप्त करना हो उसके लिए अनिवार्य शर्त होगी उसका सक्रिय सदस्य होना।

आज भी नए लोग आस लगाकर बैठे हुए है कि कभी उनको भी संगठन में जगह मिलेगी…………

कैडरबेस पार्टी की क्या यही असली वास्तविकता है।सत्ता गवाने के बाद भी केंद्रीय नेतृत्व फिर से यही गलती रिपीट करवा रहा है।आज भी प्रदेश भाजपा में गुटबाजी हावी है।क्या इन गुटबाजीओ से छत्तीसगढ़ भाजपा बाहर आ पायेगा।आज भी संगठन में वही पुराने चेहरों को रखना भाजपा को आगामी चुनाव में नुकसान तो नही पहुचायेगा,इस बात पे मनन करने की आवश्यकता है।उत्तराखंड राज्य की स्थिति को जागकर नेतृत्व परिवर्तन करने का फैसला तो सही लिया गया है।क्या केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ में भी ऐसा कर पाएंगे?

आज जब संगठन की कसावट में शीर्ष नेतृत्व स्वयं प्रदेश के मुखिया का चेहरा बदल चुका, प्रदेशाध्यक्ष का चेहरा बदल चुका परंतु ऐसे क्या कारण है कि कुछ पुराने चेहरों को संगठन आज भी ढोह रहा हैं ; वही पुराने लोगों को और उन्हीं के कुछ लोगों को संगठन में स्थान आज भी अनवरत मिलता जा रहा है जो कि छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भविष्य का भयावह चित्रण लगता है।क्या भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व आज भी नही जाग पाया है?