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राजस्व मंत्री के गृह जिले में रेत भंडारण के नियमो की उड़ाई जा रही है धज्जियां, राजस्व अमले की मिली भगत की चर्चा जोरों पर:

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कोरबा। प्रदेश में रेत का बड़ा खेल सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।ठेकेदार के साथ अफसरों की मिली भगत से प्रदेश सरकार को बड़े राजस्व की हानि हो रही है। कोरबा जिले में नियम कानून की धज्जियां बेखौफ होकर उड़ाई जा रही है।ठेकेदार के लिए अफसरो की नरमी समझ से परे है।कागजो के हेरफेर से बड़ा खेल किया जा रहा है।प्रदेश के राजस्व मंत्री के गृह जिले में यह खेल होना भी संदेह पैदा करता है।राजस्व अमले के द्वारा जिस भूमि को रेत भण्डारण के लिए अनुशंसित किया गया है, वह भूमि हसदेव नदी के भीतरी सतह की निकल गई है। रेत ठेकेदार को सुनियोजित रुप से लाभ दिलाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर करने के लिए मोटी रकम के लेनदेन किए जाने की चर्चा जोरों पर है।


मामला सीतामणी के निकट स्थित रेत खदान के समीप रेत भण्डारण के लिए राजस्व अमले द्वारा अनुशंसित भूमि का है, जंहा पर रेत ठेकेदार जय सोनी को आर्थिक लाभ दिलाने के लिए नियमो को ताक में रख दिया गया। जिस भूमि के खसरा नम्बर-1088 में से 2.50 एकड़  भण्डारण के लिए प्रस्तावित होने के बाद एस.डी.एम. कोरबा ने प्राप्त आवेदन का भौतिक सत्यापन भी करना उचित नही समझा और प्रभाव , दबाव में लाइसेंस जारी करने के लिए सहमति देते हुए प्रपोजल खनिज विभाग को सौंप दिया, जबकि ऑनलाइन रिकॉर्ड में में स्पष्ट रूप से दृष्टिगत हो रहा है कि खसरा नम्बर-1088 में नदी प्रवाहित हो रही है, जिसका रकबा 109.944 हेक्टेयर है। पूरे प्रकरण में नदी के भीतर वर्षा ऋतु में भण्डारण का लाइसेंस के लिए प्रपोजल तैयार करना स्पष्टतः आर्थिक लेन-देन की ओर इंगित करता है। शहर में हो रही चर्चाओं की माने तो जांच प्रतिवेदन के लिए तहसील कार्यालय में भारी भरकम चढ़ावा राजस्व अमले को  चढ़ाया गया हैं।

इन नियमो को किया जा रहा है नजर अंदाज…..

माइनिंग एक्ट के तहत नदी किनारे की जमीन के  100 मीटर की दूरी तक भण्डारण की अनुमति नही दी जा सकती। खान एवं खनिज मैन्युअल बुक के पृष्ठ क्रमांक – 468 में दर्ज पैरा क्रमांक – 15 की कंडिका – 3 में  स्पष्ठ रुप से उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय राज मार्ग,राज्य-राज मार्ग, तथा नदी तट की सीमा में 100 मीटर भीतर अनुमति प्रदान नही की जाएगी। इसके बाद भी रेत ठेकेदार को भंडारण की अनुमति प्रदान करना अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध करता है।

घाट पर भंडारण की अनुमति पर उठ रहें हैं प्रश्न..

सीतामणी रेत घाट के समीप हसदेव नदी की खसरा नम्बर -1088 की भूमि पर रेत ठेकेदार को भण्डारण का लाइसेंस कैसे मिला ? यह सवालों के घेरे में है। रेत भंडारण की अनुमति के लिए होने वाले छानबीन के बाद भी राजस्व अमले ने नदी से बाहर की भूमि बताते हुए लाइसेंस जारी किया है। जिसका भरपूर लाभ रेत ठेकेदार को बखूबी मिल रहा है।प्रदेश सरकार के बनाये नियमो की खुलकर धज्जियाँ उड़ाई जा रही है।अफसर रेत ठेकेदार से मिली भगत करके बड़ा खेल करने में लगे हुए है।बरसात के समय रेत की कीमत कई गुना बढ़ जाती है।इससे आप आसानी से समझ सकते है कि इस समय मे रेत के कारोबार से कितना पैसा रेत ठेकेदार कमाता होगा।बिना रायल्टी के रेत चोरी का खेल बखूबी किया जा रहा है।

शासन को बड़े राजस्व का लगाया जा रहा है फटका

प्रदेश के मुख्यमंत्री को इन सब मामलो कि जांच करवाने की आवश्यकता है।कोरबा जिले में ऐसे बहुत से घाट है जहाँ यह खेल खुलेआम हो रहा है।घाट से रात में रेत चोरी और सुबह लोगो से सीना जोरी का खेल खेला जा रहा है।जिला खनिज अफसरो को इस मामले पर कार्यवाही करने की आवश्यकता है,पर यह सभी चीर निद्रा में लिप्त हो चुके है।अगर इस मामले की सही तरीके से जांच हो तो बड़े मामले सामने आएंगे।इस खेल से करोड़ो की रेत चोरी करके राज्य सरकार को बड़े राजस्व का चुना लगाया जा रहा है।