एसईसीएल देश की बड़ी कंपनी के नाम से जानी जाती है।देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में एसईसीएल का बड़ा योगदान है।एसईसीएल की खदानों में काम करने वाले छोटे अधिकारी व कर्मचारी रात दिन मेहनत करने में लगे रहते है।उनकी इस सेवाभावना का सम्मान होना चाहिए।पर बिलासपुर मुख्यालय में बैठे सीएमडी श्रीमान पंडा को इन सब मामलों से शायद कोई सरोकार ही नही है।खदान में काम करने वाले इन कर्मचारियों को पाने का साफ पानी तक नसीब नही हो पा रहा है।काफी समय से इनके घरों में गंदा पानी आ रहा है।इसकी शिकायत भी कई बार की जा चुकी है।पर अब तक मुख्यालय के अफसर चिरनिद्रा से बाहर नही आ सके है।
कोयला खदान में कार्यरत कर्मचारियों को पानी, बिजली, आवास समेत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दायित्व प्रबंधन पर है, पर कुसमुंडा क्षेत्र में निवासरत कर्मियों व उनके परिवार को पीने के स्वच्छ पानी भी सप्लाई नहीं किया जा रहा। पिछले कई दिनों से कालोनी परिसर में गंदा पानी से निवासरत लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शिकायत के बाद समस्या का निदान नही किए जाने से लोगों में रोष व्याप्त है।
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की मेगा परियोजना के नाम से आगे बढ़ रही कुसमुंडा परियोजना में कार्यरत कर्मचारी व उनके परिवार को पेयजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। पिछले माह ही पाइप लाइन में खराबी आने से चार दिन तक पानी आपूर्ति नहीं हो सकी थी। वहीं अब कालोनी में गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है। घरों के नल में आ रहा पानी बाल्टी में भरने के साथ ही काला दिखाई देने लगता है। पानी इतना गंदा है कि पीने के लिए उपयोग करना तो दूर, निस्तारी के लिए भी काम नहीं आ रहा है।
कुसमुंडा क्षेत्र के नेहरू नगर में निवासरत लोगों ने गंदा पानी आने पर पहले समझा कि बारिश की वजह से फिल्टर नहीं हो सका होगा, पर लगातार कई दिनों तक पानी स्वच्छ नहीं हुआ तो इसकी शिकायत प्रबंधन के समक्ष की गई। प्रबंधन ने देखने का आश्वासन देकर अपने कर्तव्य का इतिश्री कर लिया, पर पानी स्वच्छ नहीं हो सका। उधर कुसमुंडा क्षेत्र की ही आदर्श नगर व विकास नगर कालोनी में मटमैला पानी सप्लाई हो रहा है। इससे कालोनीवासियों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है। कर्मचारी ड्यूटी कर कोयला उत्पादन बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रबंधन कर्मियों को सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहा है।
कर्मचारी ड्यूटी कर पीने के लिए स्वच्छ व साफ पानी के लिए भटक रहे हैं। एसईसीएल अधिकारियों को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की कोई भी चिंता नही करना समझ से परे है।इतनी बडी कंपनी में कार्यरत लोगो की ऐसी दुर्दशा होगी,इसकी कल्पना शायद ही किसी कर्मचारी ने की होगी।