Home Uncategorized सफाई कर्मी दिवस पर हमारी विचारशील कविता…✍️

सफाई कर्मी दिवस पर हमारी विचारशील कविता…✍️

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छत्तीसगढ़ उजाला।

सबका मैला सर पर ढोकर,
वातावरण स्वच्छ बनता हूं|

मैला करने वाले शान से जीते,
मै अपमान भरा जीवन बिताता हूं|

कचरा मैला तुम फैलाते रहते हो,
मै समेटता फिरता रह जाता हूं|

तुम साफ सुथरे बने घूमते हो ,
मैं फिर भी कचरा वाला कहलाता हूं|

तुम बन जाते सम्मानित व्यक्ति,
मैं नीच जाती का कहलाता हूं|

गर एक दिन ना करू सफाई का काम,
खुद की गंदगी से हो जाओगे हलाकान|

मैंने दिया वातावरण स्वच्छ तुमको,
तुमने क्या किया! बस मुझसे घिन|

मैं सफाई कर्मी ओह! माफ़ कीजिए,
आप के हिसाब से कचरा वाला|

पूछता है सिर्फ एक ही सवाल,
अपने ह्रदय से देना मुझको आप जवाब|

गर कचरा फैलाने वाला है श्रेष्ठ,
तो फिर भला मैं कैसे हुआ अछूत?

सीमा सरू दर्शीनी
छत्तीसगढ़