Home Uncategorized छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार : सदन में पटाक्षेप, बाहर शह-मात का खेल अब...

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार : सदन में पटाक्षेप, बाहर शह-मात का खेल अब भी जारी, ये किसी बड़े तूफान के आने से पहले की शांति:

0

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार : सदन में पटाक्षेप, बाहर शह-मात का खेल अब भी जारी, ये किसी बड़े तूफान के आने से पहले की शांति

बीते 4 दिनों से चल रहे टीएस सिंह देव और विधायक बृहस्पति सिंह की लड़ाई बुधवार को खत्म हो गई। राज्य के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कमजोर स्क्रिप्ट बनाकर लाने वाले बृहस्पति सिंह के द्वारा लगाए गए आरोपों से किसी भी प्रकार का कोई नाता सिंह देव के साथ होने की बात को साफ नकार दिया है और बाबा को राहत दे दी है। उसके बाद बृहस्पति ने सदन में अपने स्क्रिप्ट के कमजोरी पर अंदरूनी दुख जताते हुए बाहरी खेद सदन में जताया।

इस पूरे खेल में एक बात अगर कहीं रह गई तो वह यह थी कि ट्विटर इस बात का इंतजार करता रहा की कब यह पोस्ट लिखी जाएगी की ” सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहीं”। पटाक्षेप के बाद से उसकी खबरें छत्तीसगढ़ राज्य और दिल्ली में सुर्खियां जरूर बटोर रही है मगर तलवारे पीठ के पीछे तक ही गई है अभी उन्हें म्यान तक का सफर तय करने में वक्त लगेगा।

साफ तौर पर आप यह समझे की यह पटाक्षेप सिर्फ औपचारिकता मात्र है। सियासी गलियारों में हर रोज बैठके लगाने वालों से अगर आप ये सवाल करेंगे तो वह साफ तौर पर आपको बताएंगे कि यह पटाक्षेप नहीं बल्कि एक दूसरे को देख लेने की चेतावनी है। जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ढाई-ढाई साल में सीएम बदलाव की खबरों ने बीते ढाई वर्ष पहले कांग्रेस सरकार बनने के बाद से आज तक सुर्खियां बटोरी है उसे देखते हुए जो कुछ भी इन दिनों हुआ उसे लाजमी समझा जा सकता है।

हालांकि विधायक बृहस्पति सिंह ने सौम्य और शांतिप्रिय मंत्री टीएस सिंह देव के लिए जिस प्रकार की कमजोर स्क्रिप्ट तैयार की थी उसका धराशाई होना तय था और इसे कुछ वैसा भी माना जा सकता है कि भले ही टीएस सिंह देव आज छत्तीसगढ़ सरकार में स्वास्थ मंत्री हैं मगर उन्होंने राज्य में बहुत बड़े स्तर पर कांग्रेस की सरकार बनने के लिए अपनी सहभागिता निभाई है।

ऐसे में बृहस्पति सिंह के लिए भी उन्होंने चुनावी दौरों में कई बार सहयोग किया ही होगा क्योकि अम्बिकापुर और रामानुजगंज की दूरी मात्र 105 किलोमीटर की है और बाबा के साथ बृहस्पति की तस्वीरे काफी कुछ बयाँ भी करती है। बावजूद इसके बृहस्पति सिंह का बाबा पर आरोप लगाना कुछ वैसा ही है कि जैसे “अस्तित्व में तुम्हें जिसने लाया वह आज तुम्हारे जान का दुश्मन-वाह”।

बृहस्पति सिंह और उन प्रभावशाली शक्तियों को भले ही इस बात का अंदाजा हो कि इस प्रकार के आरोपों से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और सरगुजा के महाराजा टीएस सिंह देव की छवि को धूमिल किया जा सकता है मगर आलाकमान और टीएस सिंह देव की पूरी राजनीतिक जीवन में उनके व्यवहार की वजह से ऐसे आरोप सीएम की कुर्सी से उन्हें दूर करे ये उतना आसान नही होगा।

हालांकि इस बात को भी नहीं नकारा जा सकता है कि भले ही आरोप बृहस्पति सिंह जैसे विधायक ने लगाया हो (जिसने कई बार यह स्क्रिप्ट अन्य लोगों के लिए भी चिपकाया है) मगर थोड़ा बहुत ये आरोप-प्रत्यारोप सीएम की कुर्सी से बाबा को जरूर दूर करेगा।

• कांग्रेसियों का आपसी विवाद खत्म नही बल्कि लेने वाला है और बड़ा रूप….

पटाक्षेप और मीडिया में पुनिया की बयान बाजी भले ही लोगों को संतुष्ट कर रही होगी और ऐसा महसूस करा रही होगी कि सब कुछ ठीक हो चुका है मगर इन सब से इतर घमासान अभी रूका नहीं है बल्कि यह कुछ दिनों बाद और बड़ा विकराल रूप धारण कर किसी बड़े धमाका की गूंज सुनाएगा। भले ही इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज को अधिग्रहित करने के लिए सीएम भूपेश बघेल पर लगातार ट्विटर तथा अन्य माध्यमों से केंद्रीय मंत्रियों द्वारा तंज कसा जा रहा है।

वर्तमान में इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ज्योतिरादित्य सिंधिया का ट्वीट। इनके उपर तंज इसलिए कसा जा रहा है क्योंकि बघेल अपनी शक्तियों का उपयोग चंदूलाल चंद्राकर कॉलेज के सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनके दामाद का यह मेडिकल कॉलेज है और इसकी मान्यता वर्ष 2017 में ही रद्द कर दी गयी थी।

हालांकि सीएम भूपेश बघेल इन सब बातों को दरकिनार करते हुए फिलहाल अपने योजनाओं और बाबा को उनके ही मंत्रालय से हर बार दरकिनार करने मे लगे हुए है। जिस प्रकार से सीएम भूपेश बघेल निश्चितता के साथ अपनी कुर्सी पर बैठकर कार्य कर रहे हैं उससे ऐसा समझा जा सकता है कि उन्होंने अपनी नींव अन्य सीएम के दावेदारों से कई गुना ज्यादा मजबूत कर रखी है। अब देखना ये है कि कुछ दिनों के लिए रुका हुआ कांग्रेस का यह आपसी विवाद किस दिन बम बनकर फूटता है।