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राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति ज्ञानमूलक आजादी देती है – प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल, हिंदी विश्‍वविद्यालय में ऑनलाइन राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी

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वर्धा, दि. 29 जुलाई 2021 : ‘’राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : क्रियान्‍वयन की चुनौतियाँ’ विषय पर ऑनलाइन राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने से वैचारिक स्‍वतंत्रता की उद्घोषणा का एक वर्ष पूरा हुआ है। यह नीति मानसिक और ज्ञानमूलक आजादी की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव है। प्रो. शुक्‍ल महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के शिक्षा विद्यापीठ एवं शिक्षा संस्‍कृति उत्‍थान न्‍यास के संयुक्‍त तत्‍वावधान में दि. 29 जुलाई को आयोजित संगोष्‍ठी की अध्‍यक्षता कर रहे थे।
राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अवधारणा और क्रियान्‍वयन में चुनौतियों का जिक्र करते हुए कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि कोरोना के काल में पढ़ाई बंद हुई थी, ऐसे समय में नई शिक्षा नीति का सुत्रपात हुआ। इसे लागू करने में और वंचित समूह तक पहुचाने में काफी चुनौतियां रही। परंतु इसके प्रायोगिक विकल्‍प खोजकर आधुनिक तकनीक के सहारे कक्षाओं का संचालन किया गया। उन्‍होंने कहा कि इस नीति को लागू करने के लिए विश्‍वविद्यालय ने सभी विधि संमत प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं और अध्‍यापन की पद्धति का भारतीयकरण हो इसका शिक्षकों के द्वारा प्रयास किया गया है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालय ने ‘राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक सिंहावलोकन’ और ‘राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्‍वयन के सूत्र’ शीर्षक से दो पुस्तिकाएं भी निकाली हैं। उन्‍होंने जानकारी देते हुए कहा कि आनेवाले शैक्षणिक सत्र में शिक्षा नीति के अंतर्गत नये प्रारूप में पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को आमंत्रित किया जा रहा हैं। प्रो. शुक्‍ल ने बताया कि उच्‍च शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए इस दिशा में विश्‍वविद्यालय ने अनुवाद का एक बड़ा आंदोलन प्रारंभ किया है और विभिन्‍न विषयों के लगभग 25 पुस्‍तकों का अनुवाद किया जा रहा हैं। नई शिक्षा नीति का जागरण और क्रियान्‍वयन युद्ध स्‍तर पर करने के लिए विश्‍वविद्यालय कृतसंकल्‍प है।
मुख्‍य उद्बोधन में शिक्षा संस्‍कृति उत्‍थान न्‍यास के सचिव श्री अतुल कोठारी ने राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्‍न आयामों और क्रियान्‍वयन की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति भारत और विद्यार्थी केंद्रित है तथा इस नीति में समग्रता व भारतीय दृष्टि भी है। प्राचीन ज्ञान के साथ आधुनिकता का समावेश और समन्‍वय इस नीति का मुख्‍य आधार है। इस नीति में महात्‍मा गांधी की संकल्‍पना तथा अनेक महापुरूषों के शिक्षा संबंधी विचारों का समावेश किया गया है। शिक्षा नीति की विशिष्‍टता को रेखांकित करते हुए श्री कोठारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का मूल तत्‍व इस नीति का एक महत्‍वपूर्ण तत्‍व है। उन्‍होंने कहा कि शिक्षा संस्‍थाओं को व्‍यावसायिक शिक्षा और स्‍थानीय आवश्‍यकताओं के अनुसार उद्योगों के साथ मिलकर कौशल एवं रोजगार उपलब्‍ध कराने वाले पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि निरंतर प्रयास और समीक्षा से ही सन 2035 तक इस नीति के लक्ष्‍यों को हासिल किया जा सकता है।
विशिष्‍ट उद्बोधन में पंजाब केंद्रीय विश्‍वविद्यालय, बठिंडा के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रमाणपत्र, डिप्‍लोमा और इसके आगे की पढ़ाई करने की दृष्टि से पाठ्यक्रम तैयार करना एक महत्‍वपूर्ण कार्य है। हमें अपने पाठ्यक्रमों को शिक्षा नीति आधारित बनाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि कौशल विकास, पर्यावरण और संस्‍कार की शिक्षा का कार्य जो पहले समाज करता था आज उसकी जिम्‍मेदारी शिक्षण संस्‍थाओं पर आ गयी है। इस दृष्टि से हमें केवल आर्थिक ही नई अपितु सामाजिक दृष्टि से भी विद्यार्थियों को तैयार करना है। उन्‍होंने यूजीसी द्वारा प्रस्‍तावित एकेडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का उल्‍लेख करते हुए कहा कि इसे सभी शिक्षा संस्‍थाओं में लागू करना चाहिए। इससे विद्यार्थियों को शिक्षा संस्‍थानों का चुनाव करने में स्‍वतंत्रता मिलेगी।
इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय द्वारा तैयार की गई पुस्तिका ‘राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्‍वयन के सूत्र’ का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का प्रास्‍ताविक व स्‍वागत भाषण शिक्षा विभाग के अध्‍यक्ष एवं संगोष्‍ठी निदेशक प्रो. गोपाल कृष्‍ण ठाकुर ने किया। प्रो. ठाकुर ने संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने के लक्ष्य की सराहना करते हुए उन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रयास किए जाने एवं चुनौतियों को चिह्नित कर कार्ययोजना को और स्पष्ट करने हेतु वेबिनार के उद्देश्य का उल्लेख किया. कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर तथा संयोजक डॉ. संदीप पाटिल ने किया तथा शिक्षा विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. मनोज कुमार ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में अध्‍यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में सहभागी हुए।