रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के संसद सदस्य सुनील सोनी ने मंगलवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह के आरोपों के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश सरकार के वक्तव्य को नाकाफ़ी बताते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के सदन छोड़कर जाने की घटना को संसदीय परंपरा और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिहाज़ से गंभीर विचारणीय विषय बताया है। सोनी ने कहा कि मंत्री सिंहदेव के कथन और सदन छोड़कर जाने पर प्रदेश सरकार गंभीर हो और मंत्री सिंहदेव पर विधायक सिंह के आरोपों पर सारी स्थिति स्पष्ट कर इस प्रकरण की सूक्ष्मता से जाँच कराए ताकि प्रदेश इस प्रकरण के तमाम पहलुओं से अवगत हो।
मंगलवार को विधानसभा में प्रदेश सरकार के वक्तव्य पर मंत्री सिंहदेव का यह कथन अनदेखा-अनसुना नहीं किया जा सकता कि अब भी बहुत कुछ छिपाया जा रहा है। भाजपा सांसद सोनी ने कहा कि भारतीय राजनीति का यह संभवत: पहला ऐसा प्रकरण होगा, जब एक विधायक ने अपनी ही सरकार के मंत्री पर हत्या कराने का आरोप लगाया हो। इससे प्रदेश का सौहार्द्रपूर्ण लोकतांत्रिक राजनीतिक वातावरण पर प्रतिकूल असर होगा। प्रदेश कांग्रेस में सत्ता-संघर्ष से उपजे गैंगवार के हालात प्रदेश के राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय है।
प्रदेश की जनता कांग्रेस की अंतर्कलह में बेवज़ह पिस रही है। सोनी ने सवाल किया कि क्या अपनी सरकार की विफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने, विभिन्न मोर्चों पर आदिवासियों की नाराज़गी से बचने और ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले से पीछा छुड़ाने के लिए यह साजिश रची गई है? सोनी ने इस समूचे प्रकरण को खूनी सत्ता संघर्ष और सियासी साजिशों का कॉकटेल बताते हुए कहा कि इस मामले का इस्तेमाल करके राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते राजनीतिक छवि को क्षतिग्रस्त करने की कोशिश करके वर्षों पुराने रामअवतार जग्गी हत्याकांड की याद दिलाकर ‘बहुत-से संदेश और संकेत’ देने की कोशिश की जा रही है।
प्रदेश सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कांग्रेस विधायक सिंह का कथन ही इस घटना का पूरा सच है? या फिर, कथित तौर पर विधायक के काफिले को ओवरटेक करने को लेकर हुए विवाद का अपने प्रतिद्वंद्वी खेमे की छवि पूरी तरह से बर्बाद करने के लिए साजिशन राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है?
भाजपा सांसद सोनी ने कहा कि कांग्रेस विधायक पर हमला होना दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक तो है ही, लेकिन इस मामले में मंत्री सिंहदेव का पक्ष लिए बिना किसी भी धारणा को स्थापित करना लोकतंत्र और संसदीय परंपरा के लिहाज़ से उचित नहीं है। यह भी देखा जाना जरूरी है कि प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया की मौजूदगी में इस विवाद को हवा देकर खूनी संघर्ष के तौर पर प्रचारित करने कोई और निहितार्थ तो नहीं है?
घटना के तुरंत बाद आनन-फानन 18-20 विधायकों का बैठक करना और इस मसूचे मामले में विधायक सिंह द्वारा बार-बार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव पर अपनी (स्वयं विधायक सिंह की) हत्या के प्रयास के आरोप को दोहराए जाने, इसे लेकर कांग्रेस आलाकमान तक जाने और मुख्यमंत्री बघेल द्वारा विधायक सिंह को कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व तक जाने के लिए परोक्ष तौर पर सहमति देने से यह आशंका भी बलवती होती है कि कहीं यह मुख्यमंत्री बघेल द्वारा प्रायोजित अभियान तो नहीं है?
सोनी ने कहा कि प्रदेश सरकार में यह सत्ता-संघर्ष तो इस सरकार के सत्तारूढ़ होते ही चल रहा है। तो क्या कांग्रेस में ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले के जिन्न के जब-तब बोतल से बाहर आकर प्रदेश में नेतृत्व-परिवर्तन की चर्चाओं को हवा देने से विचलित प्रदेश सरकार और कांग्रेस का एक खेमा इस घटना की आड़ लेकर प्रतिद्वंद्वी खेमे को मात देने में लगा है? सोनी ने इस समूचे प्रकरण के तथ्य और सत्य को सामने रखने पर जोर देकर कहा कि प्रदेश सरकार में मची खींचतान ने प्रदेश के राजनीतिक वातावरण को खूनी संघर्ष और साजिशों का पर्याय बना दिया है।