बिलासपुर। कोरबा जिले में नर्स भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए दायर की गई जनहित याचिका पर राज्य शासन ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। शासन की ओर से पैरवी करते हुए विधि अधिकारी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किस आधार पर जनहित याचिका दायर की है समझ से परे है। उनका याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। जवाब के लिए चार सप्ताह की मोहलत कोर्ट ने दी है। अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तिथि तय कर दी है।
कोरबा जिले के सीएमएचओ दफ्तर के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2015 से 2018 के बीच 154 रिक्त स्टाफ नर्सों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। तय की गई शर्तों के अनुसार स्थानीय अभ्यर्थियों को प्राथमिकता के साथ लिया जाना था। भर्ती प्रक्रिया में यह भी शर्त जोड़ी गई थी कि पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा उसके बाद वरिष्ठता तय की जाएगी। याचिकाकर्ता सन्नू डहरिया कोरबा में ही सीनियर नर्स के पद पर पदस्थ हैं। सीएमएचओ कार्यालय के तहत जो भर्ती की गई उसमें नियमों का पूरा पालन किए बिना बाहरी लोगों को ले लिया गया है।
याचिकाकर्ता ने आरटीआइ के जरिए जो जानकारी निकाली उसमें पता चला कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। चयन प्रक्रिया में शासन द्वारा तय मापदंडों का पालन नहीं किया गया है।
सन्नू डहरिया
जनहित याचिका पर कार्यकारी चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य शासन के विधि अधिकारी ने पैरवी करते हुए दायर की गई जनहित याचिका पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता से उनकी मंशा पूछी जानी चाहिए। इस पर डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है। अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 10 अगस्त की तिथि तय कर दी है।