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अपने हक भुमी स्वामित्व के भुमी पर कब्जा पाने के लिए अधिकारियों से न्याय‌‌‌ के लिए भटक रहे हक भुमी के उत्तराधिकारी। राजस्व विभाग के अधिकारी द्वारा अनदेखा।

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कोरबा/कटघोरा- हक भुमी मनुष्य की वह संपत्ति है जिसे मनुष्य को पुर्वजों के द्वारा वशियत के रुप में प्राप्त होती है जिसमें वह पीढ़ी दर पीढ़ी अपना प्रमुख जीवन को पुर्वजों के द्वारा दिए गए आशियाने पर अपना गुजर-बसर करता है ,ठीक उसी प्रकार जिस तरह एक बेटा का पिता की संपत्ति पर अधिकार होता है ।जी हां बेटा क्लास वन उत्तराधिकारी होता है और उसका पिता की संपत्ति पर पुर्ण अधिकार होता है ।जमीन से जुड़े सारे चीज अचल संपत्ति में आते हैं ।हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि संपत्ति का मालिकाना हक एक मानव अधिकार है । संविधान अधिनियम 1978 में संशोधन के द्वारा संपत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं रह गया है, लेकिन कल्याण कारी राज्य संपत्ति अधिकार में यह अभी भी एक मानव अधिकार है और कोई भी एक मजबुत आधार बिना दुसरे से इसे छीन नहीं सकता है ।


जैसे-जैसे गांव शहर में बदल रहा है वैसे-वैसे जमीन का रेट भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है और उसी अनुसार लोगों के मन का लालच भी बढ़ रहा है ।यही कारण है कि कुछ लोग अपने ताकत के दम पर दुसरो के जमीन पर कब्जा कर लेते हैं या करने का प्रयास करते हैं कुछ इसी तरह का मामला कोरबा जिले के अनुभाग कटघोरा का सामने आया है , जिसमें नगर पालिका परिषद कटघोरा के अंतर्गत के पटवारी हल्का नं. 10,रा.नि.म.कटघोरा में संजय कुमार त्रिवेदी पिता रामप्रकाश त्रिवेदी व इनके भाई,बहन के नाम सम्मिलित खाते की छोटी सी हक जमीन है जिसका खसरा नं.673 रकबा 0.0320 हे.है । जिसे स्थानीय कुछ लोगों द्वारा मस्जिद की जमीन बता कर बल पुर्वक कब्जा करने के उद्देश्य से विवाद की स्थिति पैदा कर रहे हैं जबकी वह संजय कुमार त्रिवेदी को पुर्वजों की दी गई हक भुमी स्वामित्व की भुमी है जिसका सारा दस्तावेज उनके पास सुरक्षित हैं और राजस्व रिकार्ड में भी दर्ज है ।


कुछ लोगों द्वारा स्थिति को इतना गंभीर विषय बना दिया गया है कि पीड़ित व्यक्ति अपने जमीन पर घर नहीं बनवा पा रहा है उनके वर्तमान मकान की स्थिति अत्यंत जर्जर है और वर्तमान मकान खंडहर नुमा प्रतित हो रहा है और दीवार पर काफी दरारें है । बारिश के मौसम में कभी भी मकान ढह भी सकता है ।जिसकी स्थिति को देखते हुए भुमी स्वामी संजय कुमार त्रिवेदी अपने कुल 8 डिसमिल के जमीन में जो सामने ढाई डिसमिल में मकान है जो सड़क से लगा हुआ है और पिछे की जमीन साढ़े पांच डिसमिल बाड़ी का हिस्सा है जिस पर भुमी मालिक मकान बनवाना चाहता है जो कि पिछे के जमीन का हिस्सा गढ्ढा है और गंदे एवं कचरा युक्त पानी का जमाव रहता है देखने पर मानो डबरीनुमा प्रतित होता है । गढ्ढा एवं डबरीनुमा एवं गंदे पानी का जमाव होने के कारण उस जगह जहरिले जीव जन्तु जैसे सांप बिच्छुओं का भी आए दिन निकलते देखा गया है ।संजय कुमार त्रिवेदी के परिवार द्वारा उक्त भुमी के पिछे के शेष जमीन पर पुराने मकान की जर्जरता को देख पिछे नया घर बनाना चाहते हैं एवं परिवार के सदस्यों की संख्या ज्यादा होने से निवास करने में काफी दिक्कत होती है और वह जगह पानी के जमाव और डबरीनुमा होने के कारण जहरीले किड़े मकौड़े एवं जन्तुओ का खतरा बना रहता है ।इस स्थिति को देखते हुए अपने परिवार के सुरक्षा के लिए वर्तमान मकान को मरम्मत एवं घर बनाना चाहतें हैं परन्तु स्थानीय कुछ लोगों द्वारा आक्रमकता,गाली गलौच एवं वाद विवाद की स्थिति पैदा कर उनके कार्य में रोड़ा पैदा किया जा रहा है ।इस संबंध में न्याय एवं जमीनी संबंधी निराकरण कराने के उद्देश्य से संजय कुमार त्रिवेदी एवं उनके परिवार के महिलाओं द्वारा संबंधित राजस्व अधिकारियों के दरवाजे के कई महिनों से चक्कर काट रहें हैं परन्तु अधिकारियों के द्वारा अनदेखा कर टालमटोल कर दिया जाता है । हक भुमी के उत्तराधिकारीयो के बताए अनुसार अभी हाल ही में संजय कुमार त्रिवेदी के परिवार की महिला सदस्य श्रीमति ज्योति त्रिवेदी एवं रेनु त्रिवेदी द्वारा कोरबा जिले के नई कलेक्टर को पत्र लिखकर दिया गया है अब देखना यह है कि वर्तमान कलेक्टर द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है।
वैसे तो अपने हक के लिए लड़ना कोई ग़लत नहीं है यह संविधान द्वारा बनाए गए मनुष्य के अधिकार में निहीत है परन्तु अधिकारियों को भी जो वास्तविक साक्ष्य है उसे देख न्याय करना चाहिए क्योंकि मनुष्य को उसका हक दिलाने एवं मानव कल्याण से बढ़ कर दुसरा कोई धर्म नहीं है । और न्याय होने से ही मनुष्य को कानुन और न्याय व्यवस्था पर भरोषा भी बना रहेगा ।