Home Uncategorized हाईकोर्ट ने प्रदेश में नीलाम की गई शासकीय भूमि का मांगा रिकार्ड

हाईकोर्ट ने प्रदेश में नीलाम की गई शासकीय भूमि का मांगा रिकार्ड

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बिलासपुर। हाई कोर्ट ने प्रदेश की शासकीय भूमि के आवंटन को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य शासन को सभी 30 जिलों में जमीन के आवंटन व हितग्राहियों का रिकार्ड प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इसके लिए शासन को चार सप्ताह का समय दिया गया है।

सरकारी जमीन के आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिए जाने के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इसमें भाजपा नेता सुशांत शुक्ला की तरफ से अधिवक्ता रोहित शर्मा द्वारा प्रस्तुत याचिका में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अखिल भारतीय उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्घ मध्य प्रदेश शासन के मामले में 2011 में आदेश पारित किया है। इसमें शासकीय जमीन के आवंटन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। याचिका में राज्य शासन के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें सात हजार पांच सौ वर्ग फीट तक भूमि आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। शासन का यह आदेश अवैधानिक है। साथ ही 11 सितंबर 2019 को जारी उक्त आदेश को विधि विरुद्घ बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की गई है।

इसी प्रकार आरंग के पूर्व विधायक नवीन मार्कंडेय ने हिमांशु पांडेय के माध्यम से जनहित याचिका लगाई है। इसमें कहा है कि शासन के इस आदेश का लाभ सिर्फ बड़े और व्यावसायिक लोगों को मिलेगा। इसमें 15 से 20 हजार वर्गफीट की जमीन की आवंटन स्वीकृति शासन अपने चहेते लोगों को दे रहा है। इस संबंध में राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर सरकारी विभागों से पूछा जा रहा है कि रिक्त शासकीय भूमि की उन्हें भविष्य में भी जरूरत नहीं हो तो बताएं। विभागों के मना करने के साथ ही निजी लोग आवेदन कर सकते हैं। याचिका में बिना बोली लगाए, सिर्फ आवेदन जमा करने के आधार पर भूमि आवंटन की प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की गई है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि इस तरह से जमीन आवंटन से भू-माफिया और उच्च आय वर्ग को ही लाभ मिलेगा। जमीन आवंटन के मामले में मधुकर दिवेदी ने भी अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के जरिए जनहित याचिका दायर की है, जिसमें शासकीय जमीन के आवंटन का विरोध किया गया है। बुधवार को इस प्रकरण की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ में हुई।