Home Uncategorized जनहित याचिका पर शासन ने मांगा समय, एक हफ्ते बाद होगी सुनवाई

जनहित याचिका पर शासन ने मांगा समय, एक हफ्ते बाद होगी सुनवाई

0

बिलासपुर। भिलाई नगर निगम में वार्डों के परिसीमन व आरक्षण के साथ ही रिसाली नगर निगम में महापौर पद के आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान शासन ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय ले लिया। इसके चलते अब मामले की सुनवाई एक सप्ताह के लिए टल गई है।

पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की युगलपीठ ने प्रकरण में राज्य शासन से जवाब मांगा था। बुधवार को फिर इस प्रकरण की सुनवाई होनी थी। इस दौरान शासकीय अधिवक्ता ने शासन की तरफ से जवाब प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। मालूम हो कि हाई कोर्ट में अलग-अलग दो जनहित याचिका दायर की गई है। भिलाई के सुपेला स्थित गौतम नगर निवासी अली अहमद सिद्दीकी ने अधिवक्ता वरुण शर्मा व अधिवक्ता अमन केशरवानी के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें भिलाई नगर निगम में वार्डों के परिसीमन व वार्डों के आरक्षण को चुनौती दी गई है।

याचिका में बताया गया है कि नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 11 के अनुसार किसी वार्ड का नाम बदलने और सीमा में कोई परिवर्तन नहीं हो तो वहां पहले से चला आ रहा आरक्षण रोस्टर लागू रहेगा। लेकिन अगर वार्ड का नया परिसीमन हो और नया हिस्सा शामिल हो या कोई हिस्सा अलग हो जाए तो या नया वार्ड होगा और लाटरी के आधार पर नया आरक्षण लागू करना होगा। भिलाई नगर निगम में सात वार्ड ऐसे हैं, जहां कुछ नहीं बदला है।

लेकिन नया आरक्षण लागू कर दिया गया है। इसी तरह रिसाली नगर निगम में महापौर पद के आरक्षण को लेकर ओमप्रकाश कुर्रे ने भी अधिवक्ता वरुण शर्मा के जरिए जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें बताया गया है कि महापौर का पद महिला पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। जबकि यहां की आबादी अनुसूचित जाति बाहुल्य है। इसलिए अनुसूचित जाति वर्ग को महापौर पद मिलना था। दोनों जनहित याचिका में आरक्षण रोस्टर का वैधानिक रूप से पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है। इसके चलते नए सिरे से आरक्षण नियम लागू करने की मांग की गई है।