बिलासपुर। जनहित याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगते ही जशपुर कलेक्टर ने पंजीयन कार्यालय में जमीन की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को वापस ले लिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने इस प्रकरण को निराकृत कर दिया है। कलेक्टर ने राज्य शासन के आदेशों को दरकिनार कर जिला मुख्यालय में तहसील के प्रकरणों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी।
मामला जशपुर जिले का है। यहां के कलेक्टर ने बीते एक मार्च 2021 को पंजीयन कार्यालय को ओदश जारी किया था। इसमें जिला पंजीयक या उप पंजीयक जिला मुख्यालय के अलावा अन्य तहसीलों के प्रकरणों में जमीन की रजिस्ट्री नहीं करने का उल्लेख था। आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि जिस तहसील का प्रकरण होगा, वहीं पदस्थ अधिकारी जमीन का पंजीयन करेगा। कलेक्टर के इस आदेश का बगीचा नगर पंचायत के पार्षद सैय्यद ताहिर चिश्ती ने विरोध किया। साथ ही उन्होंने कमिश्नर से शिकायत कर कलेक्टर के आदेश को निरस्त करने की मांग भी की। लेकिन कहीं सुनवाई नहीं होने पर उन्हें हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
उन्होंने अधिवक्ता जयप्रकाश शुक्ला के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर बताया कि कलेक्टर के इस नए आदेश से बगीचा व दूसरे इलाकों में भी आम लोगों को रजिस्ट्री कराने में बहुत दिक्कत हो रही है। स्थानीय अधिकारी जमीन की रजिस्ट्री कराने को लेकर टालमटोल करते हैं। इसके चलते उन्हें चक्कर लगाना पड़ता है और कई माह तक उनका काम रुक जाता है। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि राज्य शासन ने 11 जून 2020 को इस आशय का आदेश दिया है कि अगर तहसीलों में पंजीयन करने से मना किया जाए या वहां रजिस्ट्री नहीं हो सके तो जिला मुख्यालय में अन्य तहसीलों के कागजात देखकर पंजीयन किया जा सकता है।
कलेक्टर ने शासन के आदेश की अवहेलना करते हुए नया आदेश जारी कर दिया है, जो अवैधानिक है। इस मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ ने सरगुजा कमिश्नर व जशपुर कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस बीच हाई कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद कलेक्टर ने अपने आदेश को वापस ले लिया है। इसके बाद हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है।