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*महाराणा प्रताप जी को मेवाड़ के बदले आधा हिंदुस्तान देने को तैयार था अकबर, जानिए उनके शौर्य के किस्से*

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अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था। जबकि हिंदी पंचांग के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म विक्रम संवत 1597 की ज्येष्ठ मास, शुक्लपक्ष की तृतीया को हुआ। इस साल यह तिथि 13 जून 2021 को पड़ रही है। महाराणा के पिता का नाम उदयप्रताप सिंह और माता का नाम महारानी जयवंती बाई था। जयवंती महाराणा की मां होने के साथ उनकी गुरू भी थी। उन्होंने अपने बेटे में शौर्य और साहत विकसित किया। महाराणा प्रताप की बहादुरी के कई किस्से हैं। आइए आज उनके जीवन से जुड़ी कुछ शौर्य गाथाओं पर नजर डालते हैं।

आधा हिंदुस्तान देने को तैयार था अकबर

अकबर दिल्ली में शासन कर रहे थे। तब उनके लिए मेवाड़ बेहद महत्वपूर्ण था। पश्चिम इलाके से व्यापार करने के लिए अकबर को मेवाड़ से होकर गुजरना पड़ता था। इस काम के लिए मेवाड़ को जीतना जरूरी था। महाराणा प्रताप के होते हुए मेवाड़ को जीतना आसान नहीं था। अकबर ने बाकी हिस्सों में राजाओं की कमजोरियों का फायदा उठाकर बड़ी आसानी से कब्जा कर लिया था। लेकिन प्रताप के सामने उसकी की नीति फेल हो गई। महाराणा के पास भील सेना की शक्ति थी। जिसका हर सिपाही महाराणा के लिए कुछ भी करने को तैयार था। अकबर ने प्रताप से आठ बार समझौते करने की कोशिश की। उसने मानसिंह, जलाल खान, कोरची, भगवान दास और टोडरमल को बातचीत के लिए भेजा। कहा जाता है कि अकबर ने मेवाड़ के बदले आधा हिंदुस्तान देने को राज़ी हो गया था। लेकिन महाराणा प्रताप कभी नहीं झुके।

अब्राहम लिंकन की महाराणा प्रताप के लिए ऐसा कहा

महाराणा प्रताप के संदर्भ में एक प्रेरक घटना है। अब्राहम लिंकन भारत आने वाले थे। तब उन्होंने अपनी माता से पूछा था कि हिंदुस्तान से आपको क्या चीज चाहिए। तब लिंकन की मां ने कहा था कि हल्दी घाटी से थोड़ी मिट्टी ले आना। मैं महाराणा प्रताप को नमन करती हूं। जिसने अपनी छोटी जमीन के लिए अकबर के आधे भारत के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। मैं देखना चाहती हूं कि उस मिट्टी में ऐसा क्या है।

महाराणा प्रताप से डरता था अकबर

अकबर कभी भी महाराणा को बंदी नहीं बना सका। प्रताप की युद्ध शैली जबरदस्त थी। साथ ही वह साढे सात फिटऊ ऊंचे और 120 किलो के थे। राणा अपनी भारी-भरकम तलवार से दुश्मन को एक बार में उसके घोड़े के साथ काट देते थे। इतिहासकार कहते है कि अकबर कभी महाराणा के सामने नहीं आता था, क्योंकि उसका कद काफी छोटा था। उसे डर था कि राणा एक वार में उसे मार डालेगा।

महाराणा प्रताप का करीबी था राम प्रसाद

महाराणा प्रताप के पास राम प्रसाद नाम से एक हाथी था। जो उन्हें बेहद प्रिय था। उन दिनों लड़ाई में हाथी के सूंड़ में तलवाल बांध दी जाती थी। जिससे हाथी सामने आने वाले सैनिक, घोड़े और हाथियों को काटते दे। एक बार महाराणा राम प्रसाद पर सवार होकर युद्ध कर रहे थे। तब राम प्रसाद ने करीब 8 हाथियों और घोड़ों को मार डाला था। यह सब देख अकबर ने रामप्रसाद को पकड़ने का आदेश दिया था। अगले दिन 12 हाथियों के बीच में फंसाकर रामप्रसाद को पकड़ लिया गया। राम प्रसाद का नाम बदलकर अकबर ने पीर रख दिया। वहीं सैनिकों से कहा कि इसे स्वास्थ्य का भूरा ध्यान रखा जाएगा। लेकिन प्रताप से बिछड़ने के दुख में राम प्रसाद ने खाना-पीना छोड़ दिया। वह 28 दिन के बाद उसकी मौत हो गई। तब अकबर ने कहा था कि जिस महाराणा का हाथी मेरे सामने झुका नहीं। उसका सिर मैं कैसे झुकवा सकता हूं।