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दिन ब दिन बढ़ रही कांग्रेस की मुश्किलें, पंजाब में कलह थमी नहीं, राजस्थान में भी बगावत के सुर

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कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें दिन ब दिन बढ़ ही रही है।कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रहा अंतर्द्वंद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। एक राज्य के मामले समाप्त होते नही दूसरे राज्य का विवाद सामने आ जाता है।अभी पंजाब में पार्टी की कलह खत्म नहीं हुई कि राजस्थान में भी बगावत की बू आने लगी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पिछले साल की तरह एक बार फिर बगावत का सामना करना पड़ सकता है। इस तरह की अटकलें इसलिए लगाई जा रही हैं क्योंकि, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक विधायकों ने उनके द्वारा उठाये गए मुद्दों के समाधान पर देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की है। पायलट के करीबी करीब आधा दर्जन विधायकों ने गुरुवार को सिविल लाइन्स स्थित उनके निवास पर उनसे मुलाकात की।

सूत्रों के अनुसार इससे पूर्व दिन में पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह की पायलट से मुलाकात के बाद विधायक वेद प्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर और रामनिवास गवारिया पायलट से मिले। विधायक राकेश पारीक भी पायलट के निवास पर पहुंचे। चाकसू (जयपुर) से विधायक सोलंकी ने कहा कि ”हम सब अपनी आवाज पार्टी की मजबूती के लिए उठा रहे है। जो पार्टी के प्रति हमारी निष्ठा पर सवाल उठाते हैं, वे पार्टी के शुभचिंतक नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान को पायलट को सुनना चाहिए और पंजाब की तर्ज पर मामले का समाधान करना चाहिए।”

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, ”पंजाब में (नवजोत) सिद्धू की सुनवाई 10 दिन के अंदर हो गई लेकिन राजस्थान में 10 महीने के बाद भी सचिन पायलट द्वारा उठाए गए मुद्दो का समाधान नहीं हुआ। जब पंजाब में सिद्धू को 10 दिन में सुना जा सकता है.. पायलट को क्यों नहीं?” पायलट के साथ मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सोलंकी ने कहा, ”हमारे द्वारा उठाई गई मांगों पर कोई चर्चा या सुनवाई नहीं हुई है। यदि मुख्यमंत्री पायलट खेमे के लोगों की बात पर विचार नहीं करना चाहते तो उन्हें अपने पक्ष के लोगो को राजनीतिक नियुक्तियां देनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि कम से कम राजनीतिक नियुक्तियां तो होनी चाहिए। कार्यकर्ता निराश हैं और उन्हें सुना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार भी होना चाहिए।